- वरिष्ठ कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी
पुणे । मुख्य न्यायाधीश श्री सुर्यकांत जी के शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित न हो पाने के कारण भाजपा नेताओं द्वारा विपक्ष के नेता राहुलजी गांधी पर न्यायपालिका और संविधान के प्रति अनादर का लगाया गया आरोप तथ्यहीन और हास्यास्पद है, ऐसी तीखी प्रतिक्रिया महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने दी है।
उन्होंने कहा कि राहुलजी गांधी मुख्य न्यायमूर्तियों के शपथ ग्रहण समारोह में हमेशा उपस्थित रहे हैं, इसलिए इस बार उनकी अनुपस्थिति को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग देना दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अनुपस्थिति का समर्थन नहीं कर रहे, परंतु संभव है कि किसी निजी कारणवश राहुल गांधी उपस्थित न हो सके हों।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता गोपालदादा ने भाजपा नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि जब सत्ताधारी दल न्यायपालिका और विपक्ष के नेता के प्रति सम्मान की बात करता है, तो पहले उन्हें स्वयं आत्मचिंतन करना चाहिए कि वे खुद न्यायिक मूल्यों, संविधानीक तथा राजनीतिक मर्यादा का कितना पालन करते हैं।
"मुख्य चुनाव आयुक्त चयन समिति से CJI को हटाने की कृती से ही सत्तापक्ष न्यायसंस्था का कितना आदर करता है यह स्पष्ट हुआ है..!
गोपालदादा तिवारी ने केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए बनी त्रिसदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। लेकिन सत्ताधारी दल ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाकर उनकी जगह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को स्वार्थ हेतूसे शामिल किया और मनमानी तथा मनमर्जी से मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन किया यह बात दुनिया के सामने छिपी नहीं..!
उन्होंने आरोप लगाया “प्रधानमंत्री, गृहमंत्री तथा नेता विपक्ष” की त्रिसदस्य चयन समिति ने स्वाभाविक तौर पर गृह मंत्रालय में अमित शाह के अधीन कार्य कर चुके सहकारीता मंत्रालय के पूर्व सचिव ज्ञानेश कुमार (गुप्ता) को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया, जो चुनाव प्रणाली पर कब्जा करने और लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश है।
यदी गृह मंत्री अमित शहा की जगह न्यायसंस्था के प्रतिनिधी तौर पर सरन्यायाधिश चंद्रचुड भी रहते थे तो ज्ञानेशकुमार की जगह ‘गुणोंके तथा जेष्ठता के आघार पर लोकतांत्रीक मुल्योंका तथा स्वायत्त्तता का रक्षण करने वाले तथा निर्विवादीत चुनाव करानेवाले मुख्य चुनाव आयुक्त’ निःसंदेह बनते थे यह वास्तविकता है !
प्रवक्ता ने याद दिलाया कि इसी हेतू से विधेयक को पास करवाते समय, सत्ताधारी पक्ष ने संसद में चर्चा को दरकिनार किया तथा सैकड़ों विपक्षी सांसदों को निलंबित करके, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हुकूमशाही तरीके से कुचला।
ऐसे सत्ताधारियों को ‘अपवादात्मक हुई नेताविपक्ष श्री राहुलजी गांधी की अनुपस्थिति’ पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है, ऐसा तिवारी ने कहा।
न्यायपालिका से अपेक्षा…!
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि —
‘संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु, public Domain सार्वजनिक तौर मे प्रकट हुए गंभीर मुद्दों पर न्यायपालिका के पास खुद् की तरफसे (सुमोटो) संज्ञान लेने का अधिकार है, और देश की अपेक्षा है कि न्यायपालिका ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करे..।