उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से रात में ड्रोन उड़ने की खबरों और चोरी-रेक्कियों की अफवाहों ने ग्रामीणों के बीच खौफ पैदा कर दिया है। सुल्तानपुर के बल्दीराय तहसील के कई गांवों में ग्रामीण रात भर जागकर पहरा दे रहे हैं और संदिग्ध आवाज़ या रोशनी दिखते ही अलर्ट हो जाते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि किसी-किसी जगह सचमुच ड्रोन देखे गए और कुछ स्थानों पर फोटो-वीडियो भी बने हैं, इतना ही नहीं कई गांव में अनजान लोग घूमते हुए भी देखे गए जिसके चलते बवाल हुआ जबकि पुलिस कुछ मामलों में इन सूचनाओं की पुष्टि नहीं कर पा रही है।
घटनाओं का ताजा स्वरूप — सुल्तानपुर के गांवों से शुरू
सुल्तानपुर के ग्रामों (जैसे पूरे लोकई तिवारी, पतुर्ज़ा और आस-पास) में ग्रामीणों ने रात में आसमान में टिमटिमाती रोशनी व उड़न-वस्तु देखे जाने की सूचना दी और गांव में कुछ संदिग्धों को देखकर लोगों ने गुहार लगाई कि चोर ड्रोन की मदद से रेकिंग कर रहे हैं और गांव लूटने वाले लोग गांव में घुस गए हैं । कुछ इलाकों में ग्रामीणों ने मिलकर संदिग्धों को घेरा और हंगामा भी हुआ। वहीं पुलिस ने कई मामलों में मौके पर जाकर जांच की संदिग्धों को घेरने की बात तो सामने आई पर कई स्थानों पर ड्रोन की मौजूदगी की पुष्ट तस्वीर नहीं मिली।
सिर्फ सुल्तानपुर नहीं — आसपास के जिलों में भी हलचल
पूर्वांचल के कई जिलों--अमेठी, प्रतापगढ़, अयोध्या, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, जौनपुर आदि में भी ड्रोन देखकर लोग सन्न रह गए हैं। अमेठी में तो ड्रोन-चोरी की अफवाह के चलते एक युवक पर भी हमला हुआ और उसे पीट दिया गया — जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। कहीं-कहीं पुलिस ने अफवाह बताते हुए सचेत रहने की अपील की है।
पुलिस की प्रतिक्रिया — जांच और अफवाह दोनों से निपटने का दावा
कई जिलों के पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मिली सूचनाओं पर वे जांच कर रहे हैं और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। कुछ थानों ने कहा है कि वीडियो/तस्वीरों की जाँच करने पर कई मामलों में ड्रोन होने की पुष्टि नहीं हुई और झाड़-फूंक/टिमटिमाती रोशनी, झाड़ियों-पेड़ में टंगी चीज़ें या सामान्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की रोशनी को लोग ड्रोन समझ बैठे। पुलिस ने कहा है कि संदिग्ध गतिविधि दिखते ही 112/नजदीकी थाने को सूचित करें।
मीडिया रिपोर्ट और जाँच का वर्तमान नतीजा
नेशनल मीडिया ने भी इन घटनाओं पर कवरेज किया है और कई जगहों पर रिपोर्ट में कहा गया कि भय और अफवाहें तेज़ी से फैल रही हैं — कुछ मामलों में ग्रामीणों की चेकिंग और पिटाई तक हो चुकी है। वहीं कुछ अखबार-न्यूज़ पोर्टल्स ने स्थानीय पुलिस वाले बयान लेकर बताया कि बहुत-सी खबरों में ड्रोन होने की पुष्टि नहीं हुई और स्थानिक कारणों (जैसे पेड़ पर टंगी रोशनी) को ड्रोन समझा गया।
जोखिम और समाजिक प्रभाव
ग्रामीणों में रात की नींद उचट गई है; कई परिवारों ने रात में घरों की बत्तियाँ बुझा दी हैं और अकेले बाहर निकलना बंद कर दिया है।
अफवाहों के कारण सच्चे मामलों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है; गलत सूचना किसी निर्दोष व्यक्ति पर हमला का कारण बन चुकी है।
क्या कहा जा सकता है
वर्तमान स्थिति यह है कि पूर्वांचल के कई गांवों में ड्रोन-रिपोर्टिंग से सतर्कता और भय बढ़ा है; कुछ जगहों पर लोगों ने सचमुच ड्रोन समझकर वीडियो/फोटो बनाए और हल्ला मचाया, पर कई जांचों में पुलिस ने ड्रोन की पुष्टि नहीं पाई। दूसरी ओर, कुछ घटनाओं में स्थानीय स्तर पर चोरी और संदिग्ध गतिविधियाँ दर्ज भी हुई हैं — इसलिए स्थिर निष्कर्ष पर पहुँचना अभी जल्दबाज़ी होगा।
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आगे क्या कर रहे हैं / क्या किया जा सकता है (अनुशंसाएँ)
1. पुलिस से एफ-आई-आर/थाना रिपोर्ट की प्रतियाँ प्राप्त की जानी चाहिए ताकि चोरी-घटनाओं के तथ्य स्पष्ट हों।
2. स्थानीय प्रशासन को वीडियो/तस्वीरों का तकनीकी सत्यापन कराना चाहिए (अगर उपलब्ध हों) — कई मामलों में पेड़/रोशनी/दिशा-प्रकाश को ड्रोन समझ लिया गया।
3. ग्रामीणों को अफवाह न फैलाने तथा सूचना मिलने पर थाने/112 पर तुरंत सूचित करने का समुचित संदेश देना आवश्यक है।