राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुती सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आरोप लगाया कि यह सरकार "जनकल्याण" के दायित्वों को निभाने के बजाय सत्ता बचाने की चिंता में ही उलझी है। उन्होंने कहा कि अनैतिक बहुमत से जनादेश के विरोध में बनी यह सरकार अब विरोधी दलों के नेताओं को सत्ता का लालच देकर तोड़ने की निंदनीय कोशिशें कर रही है।
गोपालदादा तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो विपक्षी नेता अंबादास दानवे के विदाई समारोह में संविधान, आदर्श परंपराएं और लोकतांत्रिक मूल्य जैसे विषयों पर बोल सकते थे, उन्होंने इसके विपरीत पराजित पक्षों के नेताओं को खुलेआम सत्ता में आने का निमंत्रण देकर 'राजधर्म' को तिलांजली दी है।
उन्होंने तीखा सवाल उठाते हुए पूछा कि जब जनता ने विधानसभा चुनाव में महायुती के पक्ष में स्पष्ट जनादेश दिया था, तब विपक्षी दलों के नेताओं को सत्ता में आने का निमंत्रण देना कौन-सी नैतिकता है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि महायुती सरकार का बहुमत "प्राकृतिक नहीं बल्कि राजनीतिक सेंधमारी और जनादेश की चोरी का नतीजा" है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग और न्यायपालिका से जुड़े प्रकरणों के कारण महायुती नेताओं के मन में अनामिक भय है, और इसी डर के कारण वे सत्ता बचाने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं।
गोपालदादा तिवारी ने राज्य सरकार की विफलताओं की सूची गिनाते हुए कहा कि कानून व्यवस्था की बदहाली, किसानों की आत्महत्या, मजदूरों में असंतोष, बढ़ता भ्रष्टाचार, चढ़ता कर्ज, गहराता आर्थिक संकट और सहयोगी दलों के बीच का अविश्वास—ये सभी संकेत हैं कि सरकार अपने दायित्व निभाने में पूरी तरह विफल है।
अंत में उन्होंने कहा कि जनता सब देख रही है—कैसे सत्ता पक्ष विरोधी नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और कैसे भ्रष्टाचार में लिप्त होकर महाराष्ट्र की जनता की मेहनत की कमाई को लूटा जा रहा है।