जुलाई की तपती दोपहर, कमरे में उमस भरी घुटन और बच्चों के पसीने से तर-बतर चेहरे... यह कोई काल्पनिक दृश्य नहीं, बल्कि सुल्तानपुर जिले के सैकड़ों सरकारी और प्राइवेट स्कूलों की हकीकत है। भीषण गर्मी और उमस के बीच जहां बड़े-बुजुर्ग घरों में पंखों-एसी की छांव में बैठने को मजबूर हैं, वहीं केजी और पहली से लेकर 10वीं-12वीं तक के नन्हे छात्र-छात्राएं बिना पंखे के क्लासरूमों में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
सरकारी स्कूलों में पंखों का नामोनिशान तक नहीं है, और प्राइवेट स्कूलों में लगे पंखे बिजली के भरोसे हैं — जो स्कूल समय में महज घंटे-डेढ़ घंटे ही आती है। नतीजा यह कि बच्चे अपनी कॉपियों और किताबों को ही पंखा बनाकर हवा करने को मजबूर हैं। भीगते कपड़े, पसीने से चिपके शरीर और थके चेहरों के साथ बच्चों की हालत देखकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल पसीज जाए।
बच्चों की पढ़ाई पर असर, अभिभावकों में आक्रोश
शारीरिक असहजता और गर्मी की वजह से बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा। शिक्षक खुद भी बेहाल हैं, लेकिन मजबूरी में क्लास चला रहे हैं। कई बच्चों को चक्कर आने की, घबराहट की शिकायतें सामने आ चुकी हैं।
अभिभावकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से गुहार लगाई है कि ऐसे विद्यालयों में तत्काल पंखों की समुचित व्यवस्था कराई जाए और यदि बिजली की समस्या बनी रहे तो स्कूलों में इन्वर्टर या सौर ऊर्जा आधारित पंखों का इंतजाम किया जाए।
अभिभावकों की मांग: छोटे बच्चों के लिए गर्मी में घोषित हो अवकाश
स्थिति यदि जल्द नहीं सुधरी, तो गर्मी में बच्चों की सेहत से गंभीर खिलवाड़ हो सकता है। अभिभावकों की यह भी मांग है कि जब तक तापमान सामान्य स्तर पर नहीं आता, तब तक कक्षा 5 तक के छोटे बच्चों के लिए गर्मी की छुट्टियों की तरह अस्थायी अवकाश घोषित किया जाए।
प्रशासन से अपील
सुल्तानपुर जिले के शिक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन से अपील है कि बच्चों की सेहत और भविष्य को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभावी कदम उठाएं। बच्चों को गर्मी और उमस से राहत दिलाना केवल मानवीय नहीं, बल्कि प्रशासनिक दायित्व भी है।