समिति के सदस्य गोपाल शंकरराव तिवारी ने आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपते हुए शहर की प्रमुख समस्याओं और नागरिक अपेक्षाओं को रेखांकित किया। तिवारी ने कहा कि नवलकिशोर राम की नियुक्ति पुणे मनपा के प्रशासकीय काल के तीसरे वर्ष में हुई है, ऐसे समय में जब पुणे शहर कई चुनौतियों से जूझ रहा है – विशेष रूप से यातायात, अव्यवस्थित शहरी विकास और आधारभूत सेवाओं की कमी।
ज्ञापन में कहा गया है कि पुणे मेट्रो सिटी के रूप में विकसित हो रहा है, लेकिन नियोजन की गंभीर खामियों के कारण शहर में 20-30 मंजिला इमारतें संकरी सड़कों पर खड़ी हो रही हैं। इससे यातायात का बोझ अत्यधिक बढ़ गया है। तिवारी ने सुझाव दिया कि जब तक पुणे शहर के लिए एक नया और मेट्रो के अनुरूप विकास रूपरेखा (DP) और नगर रचना योजना (TP) नहीं बनती, तब तक अनियंत्रित एफएसआय और टीडीआर को स्थगित या सीमित किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि "समस्या सिर्फ यातायात की नहीं, बल्कि इमारतों के नियोजन की है"। मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग सुविधाओं का अभाव शहरवासियों के लिए कठिनाई का कारण बन गया है।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि प्रशासनिक कार्यकाल में पिछले तीन वर्षों के ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाएं और इस पर उचित निर्णय लिया जाए ताकि नागरिकों को पारदर्शिता का अनुभव हो सके।
इसके अतिरिक्त, गोपालदादा तिवारी ने पुणे मनपा निवृत्त सेवक संघ के सलाहकार के रूप में निवृत्त कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग के बकाया भुगतान को शीघ्र देने की मांग की, यह कहते हुए कि 35 प्रतिशत से अधिक सेवानिवृत्त कर्मचारी अब इस दुनिया में नहीं हैं, और शेष को जीवनकाल में उनका हक मिलना चाहिए।
ज्ञापन में स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्राथमिकता देने की बात कही गई है, विशेषकर अस्पतालों और जांच केंद्रों की स्थापना में तेजी लाने की आवश्यकता बताई गई है।