तहसील कार्यालय परिसर में शौचालय की व्यवस्था नहीं है, यहां आने वाले नागरिकों यहां तक की कर्मचारियों तक को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। यह जानकारी यहां अपने किसी काम से आए प्रसिद्ध समाजसेवी विनोद शिवनारायण बंसल ने बातचीत के दौरान दी।
उन्होंने स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के हवाले से बताया कि तहसील परिसर में एक प्याऊ तो अवश्य बनाया गया है, पर उसमें नियमित रूप से पानी नहीं आता। नागरिकों को कई बार आस-पास के दुकानों या अन्य स्थानों पर पानी और अन्य आवश्यकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। तहसील कार्यालय की इमारत अवश्य ही प्राचीन और सुंदर है, लेकिन समय के साथ इसकी सुविधाएं पुरानी हो चुकी हैं और नए जमाने की आवश्यकताओं के अनुरूप इसका विकास नहीं हो सका है।
पुरंदर तहसील के अंतर्गत भूमि से संबंधित कार्यों के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय भी स्थित है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों किसान, नागरिक, एजेंट, वकील और अधिकारी पहुंचते हैं। लेकिन न तो बैठने की समुचित व्यवस्था है, न ही महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई विशेष सुविधा। इस स्थिति से आमजन में रोष व्याप्त है।
गौरतलब है कि पुरंदर तहसील बारामती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां से वर्तमान में सांसद सुप्रिया सुले प्रतिनिधित्व कर रही हैं। साथ ही, इस क्षेत्र में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माण की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है, जिससे पुरंदर का भविष्य में तीव्र विकास होने की संभावनाएं हैं। ऐसे में यहां की आधारभूत सुविधाओं का अभाव इस विकास यात्रा में एक गंभीर बाधा बन सकता है।
पुरंदर क्षेत्र न केवल प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रति बालाजी मंदिर, नारायणगांव, जेजुरी के खंडोबा मंदिर और ऐतिहासिक पुरंदर किले जैसे धार्मिक व पर्यटन स्थलों के कारण भी लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। लेकिन जब ये आगंतुक तहसील कार्यालय या आसपास के सरकारी संस्थानों में पहुंचते हैं, तो उन्हें शौचालय, जलपान, छाया या प्रतीक्षा की सुविधाओं का घोर अभाव दिखाई देता है।
जनता का कहना है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। तहसील कार्यालय की सुविधाओं का विस्तार किया जाए, शौचालय और प्याऊ को चालू हालत में रखा जाए, महिलाओं व दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही, भविष्य के विकास को ध्यान में रखते हुए एक मॉडर्न नागरिक सेवा केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए।
पुरंदर तहसील का ऐतिहासिक गौरव तभी सार्थक होगा, जब यहां आने वाले हर नागरिक को न्यूनतम आवश्यक सुविधाएं सहजता से उपलब्ध हों।