पुणे। भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी द्वारा 26/11 आतंकी हमले को लेकर कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों का तीखा प्रतिकार करते हुए कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने स्पष्ट कहा कि माधव भंडारी को इस केस की सच्चाई तत्कालीन सरकारी वकील और भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार एड. उज्ज्वल निकम से समझनी चाहिए। बिना तथ्यों के इस प्रकार की ऊथल-पुथल और हास्यास्पद बयानबाजी करना उचित नहीं है।
गोपालदादा ने कहा कि 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान कांग्रेस की सरकार थी और उस समय मुंबई पुलिस के वीर अधिकारियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर, शहादत स्वीकार कर अजमल कसाब को जीवित पकड़ा था। उसे एनकाउंटर में नहीं मारा गया, बल्कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया के तहत अदालत से फांसी की सजा दिलाई गई। यही नहीं, अफजल गुरू को भी कांग्रेस शासन के दौरान ही फांसी दी गई थी।
उन्होंने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि कंधार में आतंकवादियों को छोड़ा गया, संसद पर हमला हुआ, 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई, पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए, और लद्दाख में चीनी घुसपैठ के दौरान 20 भारतीय जवान शहीद हुए — ये सभी घटनाएं भाजपा के शासनकाल में हुई हैं।
गोपालदादा तिवारी ने पूछा कि 11 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने क्या किया? केवल दूसरों पर आरोप लगाना और छद्म राष्ट्रवाद का मुखौटा पहनना क्या यही उनकी नीति रह गई है?
उन्होंने दो टूक कहा कि भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी को तथ्यों की जानकारी के बिना कांग्रेस पर बेतुके और बौद्धिक दिवालियापन दर्शाने वाले बयान नहीं देने चाहिए। यदि वे ऐसा करते रहे, तो उनका और भी पितल खुलकर सामने आएगा।
गोपालदादा तिवारी ने साफ तौर पर यह संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ असली निर्णायक कदम कांग्रेस सरकारों ने उठाए, और भाजपा को अपने शासनकाल की असफलताओं पर आत्मचिंतन करना चाहिए। बयानबाजी की जगह, देशहित में सच्चाई को स्वीकार कर राजनीति करनी चाहिए।