शनिवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री किशोर चव्हाण, बजरंग दल के प्रांत संयोजक नितिन महाजन और प्रांत सह-संयोजक संदेश भेगड़े ने यह जानकारी दी।
औरंगजेब की कब्र क्रूरता और विश्वासघात का प्रतीक – हिंदू संगठन
पत्रकार वार्ता में किशोर चव्हाण ने कहा कि औरंगजेब ने अपना पूरा जीवन विश्वासघात, हिंदू विरोध और क्रूरता में बिताया। उसने अपने सगे भाइयों की हत्या की, अपने पिता शाहजहां को कैद में डाल दिया, काशी विश्वनाथ, मथुरा, सोमनाथ जैसे सैकड़ों मंदिर तोड़े और छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दीं। ऐसे व्यक्ति की कब्र बनाए रखना उसके अत्याचारों को महिमामंडित करने जैसा है, इसलिए इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए।
बजरंग दल के प्रांत संयोजक नितिन महाजन ने कहा कि औरंगजेब की कब्र आज भी उसकी कट्टर विचारधारा के अनुयायियों को प्रेरणा दे रही है। ये लोग 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने कहा, "इस देश में ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्व सक्रिय हैं, जो औरंगजेब के पदचिन्हों पर चलकर शरीयत कानून लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमें ऐसे प्रतीकों को खत्म कर भारत को धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के सपनों का हिंदू राष्ट्र बनाना है।"
प्रांत सह-संयोजक संदेश भेगड़े ने कहा कि औरंगजेब न केवल हिंदुओं बल्कि अपने ही परिवार के लिए भी क्रूर था। जिसने अपने पिता को कैद में डाल दिया, भाइयों की हत्या कर दी, वह सामान्य नागरिकों के प्रति क्या संवेदना रख सकता था? ऐसे अत्याचारी, क्रूर और हिंदू विरोधी शासक की कब्र को बनाए रखना राष्ट्रहित में नहीं है। उन्होंने कहा, "औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग केवल हमारी नहीं, बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज की है। यदि सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो हिंदू समाज खुद आगे बढ़कर इसे हटाने के लिए बाध्य होगा।"
17 मार्च को राज्यभर में होगा आंदोलन
इस मांग को लेकर विहिप और बजरंग दल ने राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि 17 मार्च को महाराष्ट्र के सभी जिलों में जिलाधिकारी और तहसीलदार कार्यालयों के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर औरंगजेब की कब्र को तत्काल हटाने की मांग की जाएगी।
हिंदू संगठनों का कहना है कि यह लड़ाई केवल एक कब्र की नहीं, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और हिंदू संस्कृति की रक्षा की है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह शीघ्र निर्णय लेकर इस कब्र को हटाए, अन्यथा हिंदू समाज स्वयं इसे ध्वस्त करने के लिए आगे आएगा।