पुणे: पुणे स्थित अभिनव अभियांत्रिकी महाविद्यालय पर बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा ताला लगाने और शाम के समय छात्राओं को हॉस्टल से बाहर निकालने की कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजीव गांधी स्मारक समिति ने इसे अत्यंत निंदनीय करार दिया। समिति ने सवाल उठाया कि शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह की कार्रवाई के दौरान राज्य सरकार और सत्ताधारी नेता चुप क्यों हैं।
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पुणे श्रमिक पत्रकार भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटिल, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के शहराध्यक्ष संजय मोरे, कांग्रेस नेता गोपालदादा तिवारी, धनंजय भिलारे, प्रसन्न पाटिल, अधिवक्ता स्वप्नील जगताप, और गणेश मोरे सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।
पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटिल ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्था को स्थापित करना आसान काम नहीं है। ऐसी संस्थाएं समाज निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा, “20-22 करोड़ रुपये के कर्ज के लिए 134 करोड़ रुपये की संपत्ति सील कर देना और छात्रों को रात के समय हॉस्टल से बाहर करना किसी भी कानून के तहत सही नहीं ठहराया जा सकता। यह संस्था पूरी तरह निजी नहीं है; यह सरकारी अनुदान पर चलती है, जिससे इस पर शासन का अप्रत्यक्ष नियंत्रण रहता है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने पिछले 10 वर्षों में बड़े उद्योगपतियों के 44,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए हैं, लेकिन एक शैक्षणिक संस्था की संपत्ति को जप्त करना और छात्रों का भविष्य अंधकार में डालना निंदनीय है।"
“शासन को हस्तक्षेप करना चाहिए”
गोपालदादा तिवारी ने कहा कि पुणे, जो शिक्षा का केंद्र माना जाता है, वहां शैक्षणिक संस्थाओं की इस तरह से दुर्दशा क्यों हो रही है? उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य का शिक्षा संचालनालय मूकदर्शक क्यों बना हुआ है। तिवारी ने कहा, “शासकीय अनुदानित इस संस्था पर 22 करोड़ का कर्ज है, जबकि 10-11 करोड़ रुपये की राशि सरकार से बकाया है। ऐसे में बैंक द्वारा पूरे संस्थान की संपत्ति जब्त करना और झूठा दावा करना कि 6 तारीख को कार्रवाई की और 7 तारीख को तहसीलदार के माध्यम से कब्जा ले लिया, यह गंभीर आरोप है।"
"छात्रों का भविष्य खतरे में"
संजय मोरे ने कहा कि 800 छात्रों का शैक्षणिक भविष्य खतरे में है। 20 करोड़ रुपये के लिए 134 करोड़ रुपये की संपत्ति जप्त करना गलत है। उन्होंने सवाल किया कि "क्या कर्ज वसूली के नाम पर इस संस्थान को बाहरी लोगों के हाथों में सौंपने की साजिश रची जा रही है?"
राजीव गांधी स्मारक समिति ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर छात्रों के शैक्षणिक हितों की रक्षा करनी चाहिए।