पुणे में 'शिक्षा समर्थक और पर्यावरण हितैषी' माहौल तैयार करने की आवश्यकता - कांग्रेस नेता गोपालदादा तिवारी
पुणे: देश की सांस्कृतिक राजधानी, शिक्षा का गढ़, खेल नगरी और पेंशनरों का 'शांत और संयमी शहर' के रूप में प्रसिद्ध पुणे अब एक प्रमुख शैक्षणिक केंद्र (एजुकेशनल हब) बन गया है। शहर में बाहरी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो रही है। कांग्रेस नेता और राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने कहा कि ‘छात्र सेवा ही देश के भविष्य की सेवा है’ और पुणे की मूल शैक्षणिक व ऐतिहासिक पहचान को बनाए रखते हुए, शिक्षा और पर्यावरण के अनुकूल वातावरण में शहर का विकास करना समय की मांग है।

वे नारायण पेठ स्थित ‘प्रवास यशाचा अभ्यासिका’ के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर अध्ययन केंद्र के संचालक श्री देवा आवटे ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में धनंजय भिलारे, एडवोकेट स्वप्निल जगताप, गणेश शिंदे, राजेश सुतार और उदय लेले सहित कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
आगे बोलते हुए तिवारी ने कहा कि पुणे में अध्ययन केंद्रों की बढ़ती संख्या यह साबित करती है कि यह शहर ‘शिक्षा का घर’ है। हालांकि, शहर के लिए एक संतुलित, शैक्षणिक वातावरण और पर्यावरण अनुकूल विकास अत्यंत आवश्यक है।


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