पुणे। 31 अक्टूबर को देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और देश की एकता और अखंडता के लिए बलिदान देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में 'राष्ट्रीय संकल्प दिवस' मनाया जाता है। इंदिरा गांधी ने खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, देश को अंतरिक्ष अनुसंधान, सैटेलाइट, कृषि और श्वेत क्रांति में आत्मनिर्भर बनाया, और पाकिस्तान का विभाजन कर भारत की 'आयरन लेडी' के रूप में विश्वभर में मान्यता प्राप्त की। उनकी हत्या 31 अक्टूबर 1984 को हुई थी, जिसे 'स्मृति दिवस' के रूप में देशभर में मनाया जाता है।
कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने इस मौके पर कहा कि केंद्र सरकार 31 अक्टूबर को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मना रही है, परंतु इसी दिन इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि होने के बावजूद उन्हें श्रद्धांजलि न देना और जानबूझकर उनकी अनदेखी करना मोदी सरकार की 'राजनीतिक ईर्ष्या' का प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के प्रति अनादर और अनदेखी मोदी सरकार की महिला नेतृत्व के प्रति द्वेषपूर्ण नीति को भी दर्शाता है।
गोपालदादा तिवारी ने आगे कहा कि देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की भूमिका निभाई थी, लेकिन मोदी सरकार और भाजपा उनकी जयंती को बड़े पैमाने पर मनाते हैं। वहीं, लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने वाले और स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी पंडित नेहरू के विचारों को भी स्वीकार न करते हुए नेहरू-गांधी परिवार के प्रति द्वेष और ईर्ष्या व्यक्त करना सत्य और ऐतिहासिक तथ्यों के साथ धोखा है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इंदिरा गांधी की अनदेखी करना और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करना लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए हानिकारक है, जो एक तरह से राष्ट्रद्रोह के समान है। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा दिवंगत प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रति किए जा रहे अनादर की कड़ी निंदा की और खेद व्यक्त किया।