राजीव गांधी लोक और देशहित के प्रति संवेदनशील नेतृत्व थे - पूर्व न्यायमूर्ति बी जी कोलसे पाटील
पुणे :   "राजीव गांधी लोकहित के मुद्दों पर संवेदनशील रूप से प्रतिक्रिया देने वाले नेता थे, और मैंने यह स्वयं अनुभव किया है। उत्पाद शुल्क कर के बारे में सामान्य नागरिकों और देश की जो लूट हो रही थी, उस संदर्भ में मेरे सामने सुनवाई चल रही थी, और मैंने कंपनियों के खिलाफ निर्णय भी दिया था। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्होंने मुझे रात दो बजे बुलाया था, और कर वापसी (रिफंड) के बारे में मेरे निर्णय को मार्गदर्शक मानकर, उन्होंने कानून में संशोधन कर, अपनी गलती मानते हुए इस मुद्दे को सुलझाया था। यह उनके अहंकार-विहीन, बड़े दिल वाले, देशहित और लोकहित को पोषित करने वाले व्यक्तित्व का परिचायक है," ऐसा प्रतिपादन मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति बी जी कोलसे पाटील ने किया।

स्वर्गीय राजीव गांधी की 80वीं जयंती के उपलक्ष्य में कात्रज स्थित स्मारक और पुतले पर पुष्पांजलि अर्पित करते समय उन्होंने यह बात कही। इस कार्यक्रम का आयोजन राजीव गांधी स्मारक समिति के संस्थापक अध्यक्ष, कांग्रेस नेता गोपालदादा तिवारी द्वारा किया गया था। 
राजीव गांधी के नेतृत्व में भारत में समय पर कंप्यूटरीकरण होने से कोरोना काल में 'वर्क फ्रॉम होम' के माध्यम से काम किया जा सका। इसके अलावा, उन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखते हुए भारतीय संस्कृति, प्राचीन स्थलों और कला-संस्कृति के संरक्षण के लिए 1984 में हेरिटेज कानून बनाया। "इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज" (INTACH) की स्थापना नई दिल्ली में उनके ही नेतृत्व में की गई थी, और भारत में 'विरासत जागरूकता और संरक्षण कानून' समिति गठित की गई थी," ऐसा गोपालदादा तिवारी ने बताया।

सौ. कमलताई व्यवहारे ने मोबाइल, इंटरनेट क्रांति के साथ-साथ, स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के लिए स्व. राजीव गांधी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

इस अवसर पर उद्यान अधीक्षक डॉ. राजकुमार जाधव, अभिनव शिक्षा संस्थान के राजीवजी जगताप, सूर्यकांत मारणे, सुभाषशेठ थोरवे, रामचंद्र शेडगे, राजेंद्र खराडे, द. स. पोळेकर, सौ. मनीषा फाटे, अविनाश गोडबोले, रमेश सोनकांबळे, नंदुशेठ पापळ, भोला वांजळे, संग्राम मोहोळ, पृथ्वीराज पाटील, महेश ढमढेरे, धनंजय भिलारे, एड. स्वप्नील जगताप, पै. शंकर शिर्के, गणेश शिंदे, एड. सचिन अडसुळ, एड. संदीप ताम्हणकर, एड. फैयाज़ शेख, योगीराज नाईक, प्रशांत जाधव, संजय अभंग, गणेश मोरे, गोरख पळसकर, विकास दवे, डॉ. भरत कदम, विकास शिरोळे, हरीभाऊ महाले, विजय हिंगे, नरसिंह अंदोली, गणेश गुगळे, आशीष वाधमारे, राजेश सुतार, नरेश आवटे आदि कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

स्मारक समिति के वरिष्ठ सदस्य सुभाषशेठ थोरवे ने आभार प्रदर्शन किया और सामूहिक राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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