गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने की ‘त्रिकुट सरकार’ की मंशा उजागर..!
‘शिक्षा अधिकार कानून’ की उच्च न्यायालय ने रखी लाज..!

कांग्रेस राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने  न्यायपालिका का किया धन्यवाद और दी बधाई.!   

पुणे ।  महाराष्ट्र राज्य कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि 'त्रिकूट सरकार' पर गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की मंशा का पर्दाफाश हो गया है। उच्च न्यायालय ने शिक्षा के अधिकार कानून की मर्यादा को बनाए रखा है और इसके लिए न्यायपालिका का धन्यवाद और अभिनंदन है। 

श्री तिवारी ने विज्ञप्ति में आगे कहा है कि स्वतंत्रता के बाद, सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए 'शिक्षा' को मूलभूत आधार माना गया है। इसी विचारधारा के तहत, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 'कांग्रेस प्रणीत यूपीए सरकार' ने शिक्षा के अधिकार कानून को लागू किया था। इस कानून के तहत आर्थिक दृष्टि से पिछड़े अर्थात गरीब परिवारों के बच्चों के लिए 25% आरक्षित सीटें रखी गईं ताकि उन्हें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मुफ्त मिल सके। इस कदम के पीछे लोकतंत्र में समानता, सामाजिक न्याय और महात्मा गांधी के जनकल्याण राज्य की अवधारणा का आधार है, जिसे कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से बनाए रखा है।

लेकिन महाराष्ट्र में 'त्रिकुट सरकार' ने कुछ निजी शिक्षण संस्थाओं के दबाव में आकर शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को शिक्षा देने की जिम्मेदारी से बचने की नीति अपनाई और इन प्रवेशों पर स्थगन आदेश जारी किया। इस अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक आदेश के खिलाफ, घोर परिश्रमी और आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता ने न्यायालय की ओर उम्मीद से देखा था। 

अंततः, कांग्रेस काल में लागू किए गए 'शिक्षा के अधिकार' कानून के कारण उच्च न्यायालय ने कानून और संवैधानिक अधिकारों की मर्यादा को बनाए रखा और त्रिकुट सरकार के स्थगन आदेश को रद्द कर दिया। यह शिक्षा के अधिकार कानून पर संवैधानिक मोहर लगाने वाला और आत्मनिर्भर देश के लिए शिक्षा की आवश्यकता को उजागर करने वाला है। यह बताते हुए गोपालदादा तिवारी ने न्यायपालिका का अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया है।

तिवारी ने कहा कि मोदी के विकसित भारत में शिक्षा की कटौती भाजपा शासित राज्यों द्वारा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा सरकारों के 'शिक्षा के अधिकार कानून' के विरोध के प्रयास भी उजागर हो चुके हैं। कांग्रेस ने इस पर भी आलोचना की है।
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