पुणे । बांग्लादेश से पुणे में आकर नकली नोटों की तस्करी के मामले में 15 अक्टूबर 2022 को सेना गुप्तचर विभाग व राजस्व गुप्तचर विभाग द्वारा तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। राजकुमार राज बहादुर सेन, रवि शुक्ला, अतुल कुमार मिश्रा गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं। उस समय आरोपियों के पास से सेना गुप्तचर विभाग ने दो लाख रुपए की 'फेक करेंसी' बरामद की थी। इन तीनों आरापियों को गुप्तचर विभाग द्वारा मजिस्ट्रेट कस्टडी में भेजा गया था। 20 दिसंबर 2020 को तीनों आरोपियों को मुख्य न्याय दंडाधिकारी कोर्ट द्वारा जमानत दी गई थी।
मिली जानकारी के मुताबिक तीनों आरोपियों पर कस्टम एक्ट की धारा 135, 135, ए, (आई) (जे) के तहत सेना गुप्तचर विभाग व राजस्व गुप्तचर विभाग द्वारा कार्रवाई की गई थी. 12 जून 2024 को इस मामले में प्रोसिक्यूशन की तरफ से केस ट्रायल की मांग की गई थी। यह मामला पुणे कस्टम अतिरिक्त आयुक्त श्वेता निवदानगे की कोर्ट के समक्ष रखा गया जहां प्रोसिक्यूशन ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि फेक करेंसी मामले के तीनों आरोपियों ने गंभीर अपराध किया है।
यह अपराध राजद्रोह और देशद्रोह की श्रेणी में आता है, इसलिए तीनों आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाए।
इस पर बचाव पक्ष के वकील एड. राशिद सिद्दीकी ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि तीनों आरोपियों पर बांग्लादेश से पुणे में लाकर जाली नोटों की स्मगलिंग करने का आरोप है परन्तु प्रोसिक्यूशन ने अब तक ऐसा सबूत न्यायालय के समक्ष नहीं रखा जिससे यह साबित हो कि तीनों आरोपियों के तार बांग्लादेश से जुड़े हैं। DRI की एक टीम बंगलादेश और ढ़ाका बॉडर गई थी, वहां से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।
बचाव पक्ष के वकील राशिद सिद्दीकी ने अपनी दलील में आगे कहा कि कस्टम एक्ट 1962 की धारा 135 (आई) (जे) इन आरोपियों पर लागू नहीं होती क्योंकि इस धारा की डेफिनिशन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिस आरोपी से 50 लाख या 1 करोड की करेंसी पकड़ी जाती है उस पर यह धारा लागू होती है।
बचाव पक्ष ने अगला मुद्दा उठाते हुए कहा कि फेक करंसी की रिपोर्ट RBI द्वारा दी जाती है उस रिपोर्ट को भी प्रोसिक्यूशन ने न्यायालय के समक्ष नहीं रखा है। इसलिए मेरा अनुरोध है तीनों आरोपियों को इस मामले में बरी किया जाए।
इस पर कस्टम आयुक्त कोर्ट ने तीनों आरोपियों पर 40-40 हजार का जुर्माना लगाते हुए बरी कर दिया।