पुणे। राष्ट्रपति के भाषण पर जवाब देते समय, प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष के प्रती असूया तथा जलन के कारण बार-बार बालकों का ऊदाहरण देते हुए “बालक वर्ग" की थट्टा और कुचेष्टा की, और समाज में बालकों के प्रति नकारात्मकता भरा चित्र रेखांकित करने का प्रयास किया । यह अत्यंत निंदनीय है और कांग्रेस पार्टी इसकी तीव्र शब्दों में निंदा करती है। यह बात कांग्रेस राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने कही।
गोपालदादा तिवारी ने कहा कि किशोरवयीन विद्यार्थियों की स्कूल में चोरी की कहानियाँ सुनाकर और बालकों का नकारात्मक चित्र प्रस्तुत करने का प्रयास करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी समाज में बालकों के प्रति कौन सा संदेश देना चाहते हैं ?
क्या बालक वर्ग सिर्फ ऐसी हरकतोंसे ही जाना जाता है..?
अपने को हिंदू कहलाने वालोंने,
भगवान श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्थामें ‘जहर ऊगालने वाले कालीया नाग पर अंकुश लाकर गोकुलवासीयोंको बचाया था’ तथा ‘अपनी उंगली के सहारें, ग्वालाओंकी लाठी’पर गोवर्धन पर्बत उठाने वाले, ‘बाल_लीला स्वरुप श्रीकृष्ण चरीत्र’ का भी ध्यान रखना चाहीये था..!
ऐसे गौरवांकित उदाहरणों से बालकोंके प्रती समाज मे प्यार, प्रेरणा, ऊदारता तथा बालकोंके प्रति विश्वास छाया जाता है..!
“बाल लीला” इसलिए बतायी गई है..!
काँग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आरोप लगाया कि मोदी ने अपने भाषण में बार-बार "बालक, बाल-मन, बाल-बुद्धि" जैसे शब्दों का प्रयोग करके समाज में ‘बालकोंके प्रती का नकारात्मक चित्र रेखांकित करने का निंदनीय प्रयास किया है।
उन्होंने ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को अपने भाषण में सिधा निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने ऊठाये मुद्दों का जवाब देना चाहिए था, जिन्हें जनता ने पर्याप्त समर्थन देकर संवैधानिक 'विपक्षी नेता' के पद पर बिठाया है। इसके बजाय, उन्होंने बालकों का मजाक उड़ाकर अपनी अपरिपक्वता और अहंकारी मानसिकता को दर्शाया। गोपालदादा तिवारी ने मोदी की इस हरकत को देश के लिए नुकसानदायक बताया और उनकी आलोचना की।
‘बालकों मे देश का कल का भविष्य जगाने के लिए’ अच्छे ऊदाहरण देकर ऊनकी सराहना करना सिखाता है..! आधुनिक भारत के शिल्पकार कहलानेवाले (तथा, लगातार ३ बार काँग्रेस को बहुमत हासील कर देनेवाले) देश के पहले प्रघान मंत्री बालकोंके प्रती हमेशा सौहार्द भरा, विश्वास तथा प्रेरणादायी व्यवहार करते थे । देश के प्रधानमंत्री का जन्मदिन भारत में “बाल दिन” मनाया जाता है.. इसका भी कम से कम मोदी जी खयाल रखकर .. बालकों के प्रति ऐसे उदाहरण देने से बचते थे तो ऊनकी परिपक्वता तथा सभ्यता जानी जाती थी..!