इन चार प्रमुख कारणों से यूपी में भाजपा को लगा झटका
अयोध्या सुल्तानपुर अमेठी रायबरेली अंबेडकर नगर प्रतापगढ़ में बीजेपी की करारी हार का जानिए कारण

एड.आनंद तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक
लखनऊ। 2019 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को अप्रत्याशित रूप से झटका लगा है। जिस राम मंदिर और अयोध्या नगरी के सहारे भारतीय जनता पार्टी ने 80 के दशक में अपने राजनीति की शुरुआत की थी और जिसे लेकर भाजपा ने 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था , उसी अयोध्या (फैजाबाद) की सीट को बीजेपी 2024 में बुरी तरह हार गई। इतना ही नहीं अयोध्या मंडल के सुल्तानपुर, अंबेडकर नगर, अमेठी और रायबरेली, प्रतापगढ़ जैसी सीट भी भाजपा ने आसानी से गंवा दिया। 

(up chunav bjp ke har ke char Karan)

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की करारी हार क्यों हुई इसे समझना बहुत जरूरी है जिसे यदि बीजेपी समय रहते समझ लेती तो आज उसे पछताना नहीं पड़ता। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी के हार के प्रमुख चार कारण कौन से हैं। 

 वजह नंबर एक 

वोटर लिस्ट में बीजेपी के बेस वोट को घटाना

उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्वाचन आयोग की मांग के अनुसार निर्वाचन कार्य के लिए जिन कर्मचारियों को बीएलओ बनाया उनमें से ज्यादातर शिक्षामित्र और ऐसे ही छोटे पदों के कर्मचारी थे। 

राज्य में लाखों की संख्या में शिक्षामित्र लंबे समय से कार्यरत हैं जिन्हें पूर्ववर्ती सरकार में एक बार परमानेंट किया गया था किंतु बाद में उन्हें फिर से संविदा कर्मचारी माना गया और उनका वेतन घटाया गया। पिछले 10 साल से यह शिक्षामित्र मांग कर रहे हैं कि उन्हें सरकार परमानेंट करे और उनका वेतन बहाल करे लेकिन राज्य सरकार ने इसे तवज्जो नहीं दिया।

 इन्हीं शिक्षा मित्रों को और आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों तथा इसी प्रकार के अन्य छोटे कर्मचारियों को बीएलओ बनाया गया। इन कर्मचारियों ने भाजपा को चुनाव हराने के लिए भाजपा के बेश वोट बैंक ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य के हर दूसरे तीसरे घर से एक दो मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए। दूसरी ओर सपा के बेस वोट को वोटर लिस्ट में हर दूसरे तीसरे परिवार में उम्र ना होते हुए भी बढ़ा दिया गया। परिणाम स्वरूप बीजेपी का वोट पड़ने नहीं पाया और समाजवादी पार्टी का वोट वैध न होते हुए भी वैध तरीके से पड़ा। 

वजह नंबर दो 

बीजेपी सरकार के प्रति युवाओं का तीव्र आक्रोश 
प्रदेश में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से अभी तक युवाओं के लिए कोई भी सरकारी नौकरी नहीं निकाली गई। नौकरियों के लिए जो पेपर कराए गए उसके पेपर लीक हो गए। इसे लेकर युवाओं में राज्य सरकार के प्रति खासा आक्रोश है। बीजेपी युवाओं की समस्या हल नहीं कर पाई जिससे बड़ी संख्या में युवा अखिलेश यादव यानी समाजवादी पार्टी से उम्मीद लगा बैठे और सपा के पाले में चले गए। युवाओं ने भाजपा के विरोध में मतदान किया जिसका परिणाम सामने है।

वजह नंबर तीन 

सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों पर काम का दबाव और मैनपावर की कमी
उत्तर प्रदेश में लंबे समय से सरकारी पदों पर भर्ती नहीं की गई है जिसके चलते सरकारी कार्यालय में कार्य करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। वास्तव में सभी सरकारी कार्यालय में मैनपावर की कमी है जिसका खामियाजा वहां काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को उठाना पड़ता है। संविदा भर्ती भी राज्य सरकार ने नहीं निकाली है जिसकी वजह से सरकारी कार्यालय में बाबू निजी व्यक्ति को काम करने के लिए बिठाते हैं जिनकी जानकारी मिलने पर शासन स्तर से संबंधित बाबू के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इस बात का गुस्सा सरकारी कर्मचारियों में है जिसके चलते सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 2024 के आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ गए। 

वजह नंबर चार 

भाजपा द्वारा गलत उम्मीदवारों को टिकट दिया जाना
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में बड़ी ही लापरवाही के साथ उम्मीदवारों का चयन किया और उनके बारे में पूरी जानकारी न करते हुए, अपने कार्यकर्ताओं की बात ना मानते हुए मनमानी तरीके से टिकट दिया। इसका उदाहरण अयोध्या के उम्मीदवार लल्लू सिंह से लिया जा सकता है। लल्लू सिंह को लेकर अयोध्या लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में ब्राह्मण मतदाता नाराज था। छतरिया और वैश्य भी तथा अन्य जातियों के मतदाता भी लल्लू सिंह को पसंद नहीं करते थे। इसकी शिकायत भाजपा अध्यक्ष तक कार्यकर्ताओं ने किया था। कहा तो यह भी जाता था कि लल्लू सिंह भांग खाकर बैठे रहते थे और किसी की बात नहीं सुनते थे फिर भी उन्हें पार्टी ने अयोध्या जैसे अति महत्वपूर्ण सीट का उम्मीदवार बनाया। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने समाज में लोकप्रिय पूर्व विधायक अवधेश पासी को लल्लू सिंह के मुकाबले उतार दिया और अवधेश पासी ने अवध के मतदाताओं में पैठ बनाकर लल्लू सिंह को लालू करार देते हुए खुद को अवध का अवधेश साबित कर दिया। यह न केवल भाजपा के लिए बल्कि तमाम सनातनी हिंदुओं के लिए बड़ा झटका है। इसी प्रकार अन्य लोकसभा क्षेत्र में भी भाजपा ने टिकट बांटा और स्मृति ईरानी मेनका गांधी जैसे उसके धुरंधर सपा की साइकिल की पहिए के नीचे रौंद उठे।

उल्लेखनीय है कि उक्त कारणों के अलावा भी अनेक ऐसे कारण है जिन पर भाजपा ने यदि समय रहते ध्यान दिया होता तो आज उत्तर प्रदेश में भाजपा की यह दुर्गति नहीं होती। ऐसे कारण में किसानों को परेशान करने वाले किसानों की फसल खाने वाले छुट्टा सांडों का भी प्रबंध न किया जाना शामिल है।

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