भारतीय लोकतंत्र के प्रखर पुरोधा थे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू : उल्हास दादा पवार
पुणे। पं. नेहरू ने अंग्रेजों की गुलामी में 'दबे कुचले, शैक्षिक-तकनीकी रूप से पिछड़े' भारत का नेतृत्व किया और पहली मतदाता सूची बनवाकर डॉ आंबेडकर के विचारों से अभिप्रेत लोकतंत्र स्थापित किया। वास्तव में पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय लोकतंत्र के प्रखर पुरोधा थे उनके कार्यों को यह देश कभी विस्मृति नहीं कर सकता। यह विचार कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक उल्हास दादा पवार ने यहां व्यक्त किया।                      
         
  इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार निरंजन टकले ने कहा कि देश में चुनाव कराने के लिए उस समय 90 प्रतिशत निरक्षर देश की मतदाता सूची बनाना एक बड़ी चुनौती थी। जनसंघ ने 25 वर्ष से अधिक के आयु के मतदाताओं को ही मतदाता सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था इसे लेकर विवाद गहरा गया था। टकले ने कहा कि 21 वर्ष की आयु वाले पुरुष एवं महिला भारतीय नागरिकों का पंजीकरण पं. नेहरू द्वारा विवाद को सुलझाने एवं जनता को विश्वास में लेने के बाद ही लागू किया गया था।  

वह पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्य तिथि, स्मृति दिवस के अवसर पर पुणे शहर जिला कांग्रेस भवन में बोल रहे थे। 

इस अवसर पर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गोपाल दादा तिवारी ने कहा कि, पं. नेहरू ने 10 वर्ष तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के बाद दूसरे लोगों को प्रधानमंत्री पद संभालने का अवसर देने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा था। यह अलग बात है कि, जनता के दबाव में और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा किए गए प्रस्ताव के दबाव में पंडित नेहरू ने तीसरी बार प्रधानमंत्री का पद संभाला। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र के प्रति उनका यह समर्पण भाव अद्वितीय था। ऐसा समर्पण भाव आज देखने को नहीं मिल पा रहा है।

मजदूर नेता सुनील शिंदे, वीरेंद्र किराड 
भगवान कडू, एड फैयाज शेख, गुलाम हुसैन, एड श्रीकांत पाटिल, अनुसया गायकवाड, सुनीता तांबे, विशाल गुंड, सुनील काकड़े, सुनील रोजकरी, मछिंद्र धुमाल, विजय हरपाले, सोमनाथ गाडेकर आदि इस अवसर पर उपस्थित थे..!

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