4 शतकों से प्रलंबित राम जन्मभूमि विवाद आखिरकार ‘आजाद भारत की न्याय व्यवस्था’के कारण ही देश में हल हुआ..!
 मोदीजी ‘प्रजातांत्रिक भारत’ निर्माण करनेवाली काँग्रेस को श्रेय देंगे…?

- काँग्रेस राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी का सवाल …!

पुणे : भाषणजीवी प्रधान सेवक नरेंद्र मोदीजी ने आज मुंबई - रॅली मे अपने १० साल की विकास कार्य उपलब्धीपर भाष्य ना करते हुए, सिर्फ राम मंदिर की उपलब्धि का श्रेय लेने पर तुले दिखाई पड़े तथा बार बार “500 सालों से प्रलंबित” राम मंदिर बनाने का श्रेय भाषणजीवी बार बार ले रहे हैं..! 
परंतु सत्य वास्तवता यहीं है की, 4 शतकों से प्रलंबित राम जन्मभूमि विवाद आखिरकार ‘आजादी के बाद ही’ स्वतंत्र लोकतांत्रिक भारत की न्याय व्यवस्था’के कारण ही देश में हल हुआ..! 

आजादी का वास्तव इतिहास ध्यान में लेते हुए, ‘रामजन्मभूमि विवाद फैसला’ आजादी भारत की न्याय व्यवस्था’के कारण ही देश मे हो पाया… इसी कारण 4 शतकों से प्रलंबित राम मंदिर निर्माण का श्रेय भी ‘प्रजासत्ताक लोकतांत्रिक भारत’ निर्माण करने वाली काँग्रेस को भी देनेका बड़प्पन मोदीजी बतायेंगे क्या (?) यह सवाल महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस के राज्य प्रवक्ता गोपाल दादा तिवारी ने किया । 


ऊन्होंने आगे कहा कि, ‘सर्वोच्च न्यायालय’के रामजन्मभूमि फैसले का राजनैतिक श्रेय लेते हुए #श्रेयजीवी बार बार 500 सालों से प्रलंबित राम मंदिर बनाने का श्रेय ले रहे हैं..! पर वे यह भूल गए कि 500 साल में से 150 साल भारत अंग्रेजों के गुलामी में था और बाकी 250 साल तो राजेशाही / मुगलशाही मे बंटा हुआ भारत था..! 
आजादी की जंग शुरू हुई तो भारत की ब्रिटीशों की गुलामी से मुक्तता तो चाहते थे पर कुछ नही कर पा रहे थे..! 
जब महात्मा गांधी, पं नेहरू , अब्दुल गफार खान, आजादी, बोस आदि ने आजादी की जंग को नेतृत्व दिया, कई बार जेल गये। 

1932 से 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन से 1947 तक के 15 निर्णायक सालो में.. विदेशी सामान की होली, असहकार आंदोलन, सविनय आंदोलन, नमक सत्याग्रह आदि संघर्ष के बल पर देशव्यापी आंदोलन किया गया..! ब्रिटिशों को जर्जर करके भारत छोडने पर मजबूर किया..! तब कोई बीजेपी तथा संघ का कोई भी नेता कहाँ था..? 
शहीद भगतसिंह, राजगुरू के साथ साथ सैंकड़ों शहीदों ने कुर्बानी दी.. और 15 अगस्त 1947 में भारत आजाद हुआ.. राजा - तथा प्रजा मे बिखरा भारत “प्रजातांत्रिक लोकतंत्रवादी भारत” हुआ.. अपना संविधान बना.. ‘न्याय संस्था’ स्थापित हुई,..! 

काँग्रेस राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आगे कहा कि, “लोकतांत्रिक स्वतंत्र भारत” की स्थापना काँग्रेस के मौलिक योगदान से हुई और उसी स्वतंत्र भारत के कार्यकाल मे ‘सर्वोच्च न्यायालय’ ने रामजन्म भूमि विवादीत जगह का निर्णय दिया तथा साथ ही ‘राम मंदिर ट्रस्ट’ बनानेका का निर्णय - निर्देश दिये । 
न्यायालय मे रामजन्म भूमि विवाद केस में कहीं पर भी मोदीजी या भाजप ना कोई अर्जदार थे ना अपिलंट थे ना पिटीशनर थे..। 

इसलिए.. राम मंदीर निर्माण का श्रेय सिर्फ और सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय का ही है.. मोदी या भाजप का कतई नही है..! 
काँग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आगे यह भी कहा की न्यायालयीन आदेश से भी आखीर मंदीर तो बाबरी ढाँचा - गिराकर वादग्रस्त जगह पर तो हुआ ही नही..!

१९९२ मे काँग्रेस प्रधानमंत्री नरसिंहराव के कार्यकाल मे राम मंदीर मसला छुडवाने के लिए कुछ एकर जगह अयोध्यामे एक्वायर कि गयी थी, ऊसी पर आज मंदीर हुआ..। पर वहाँ नही बना.. जहाँ बनवाना चाहते थे ।      


            कोर्ट द्वारा समझौते के प्रयास मे श्री श्री रवि शंकर जी इ ने भी मंदीर मामला बातचीत से छुडवाने के बारे मे पैरवी कि थी..! तब भी यही विकल्प था..तब निर्णय नही हुआ । पर बाद मे इसी सुझाव को सुप्रीम कोर्ट’ने निर्णय का स्वरुप देकर मामला सुलझाया.. तथा बाबरी मस्जीद ट्रस्ट को ५ या कुछ एकर जमीन मस्जीद बाँधने के लिए देने का आदेश दिया गया.. यहीं सत्य वास्तवता है..! ईसीलिए श्रेयजीवी मोदी जी मंदीर निर्माण का श्रेय ना ले ..। 

बल्की ऊन्होने मंदीर ट्रस्ट के कार्यमे अनुचित हस्तक्षेप करके प्रभू श्री रामजी को, “बिना सिताजी, लक्ष्मणजी तथा हनुमानजी के अलावा” एकेले बालक श्री राम की मु्र्ती के रुप में… बिना शंकराचार्य जी के पुजा - विधी - विधान के मार्गदर्शन तथा अनुपस्थिती मे, बिना पत्नी के प्रतिष्ठापना करनेपर जोर देकर अनेक हिंदूओंके भावनाओं के साथ खिलवाड करनेका काम किया है। 
काँग्रेस राज्य प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी ने आगे कहा की अनेक हिंदुओंकी भावना यही कहती है की, “बाल लीला श्री कृष्ण की जरूर सुनी है, पर ‘बाल लिला प्रभू श्री राम की’ तो नही सुनी है.. तो मोदी जी द्वारा एकेले राम’जी की ‘बाल मुर्ती’ बिठाने का आग्रह क्यों किया गया ..! 

ऊन्होंने बिजेपी द्वारा चलाये जानेवाले अभियानपर टिपणी करते हुए कहा की, 
प्रभू श्रीराम को लाने का हास्यास्पद तथा ओछा प्रयास ना करे.. वह तो स्थायी रुप से.. चिरंतन तथा निरंतर है..! एकपत्नी - एकवचनी - मर्यादा पुरषोत्तम प्रभू श्रीराम सत्य तथा न्याय के मुर्तीमंत ऊदाहरण थे.. जो मोदी - शहा की डीक्शनरी मे दूर दूर तर नही है..! 

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