कृष्णकुमार गोयल पुणे के कोहिनूर हैं - सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार
पुणे, 19 जनवरी: कृष्णकुमार गोयल ने पुणे के सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अनेकों सकारात्मक कार्य किए हैं जिससे अच्छाई को एक आयाम मिला है। उन्हें गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर पुरस्कार देना उनके काम का सम्मान है। वह वास्तव में पुणे के कोहिनूर हैं। यह मत सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने व्यक्त किया।


 प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी द्वारा आयोजित गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में श्री. मुनगंटीवार ने दूरदृष्य प्राणाली के माध्यम से उपस्थित जन समुदाय को संबोधित किया। इस अवसर पर विधायक सिद्धार्थ शिरोले, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर डॉ. नितिन करमालकर, संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. गजानन एकबोटे, पुरस्कार विजेता एवं खड़की एजुकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष उद्योगपति कृष्ण कुमार गोयल, प्रो. अरविंद पांडे, सुरेश टोडकर, श्रीमती राजबाला गोयल, डॉ. जोत्सना एकबोटे आदि उपस्थित थे।


मंत्री श्री मुनगंटीवार ने अपने संबाधन में आगे कहा कि, आज समाज में अच्छे कार्य करने वाले लोगों की जरूरत है। कृष्णकुमार गोयल जी अपनी उपलब्धियों के आधार पर परोपकार पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। वे शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अग्रणी हैं। सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में उनके काम के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अच्छे लोग समाज की प्रगति में योगदान देते हैं।


उन्होंने आगे कहा, आज दुनिया में धन से ज्यादा गुणों को महत्व दिया जा रहा है। यदि ज्ञान संस्कृति से जुड़ा है, तो छात्र ज्ञान का उपयोग समाज के लिए करते हैं। प्रोग्रेसिव एजुकेशन शिक्षा के माध्यम से एकता, शांति, संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहा है । किसी व्यक्ति को जो पुरस्कार मिलता है वह किसी एक व्यक्ति का गौरव नहीं बल्कि उस मार्ग पर चलने वाले अनेक लोगों का गौरव होता है। यह दूसरों के लिए अच्छा करने की प्रेरणा देता है। इसलिए संस्था द्वारा दिया गया यह पुरस्कार महत्वपूर्ण है, ऐसा भी श्री मुनगंटीवार ने अपने संबोधन में कहा।


 उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है और संस्था को शीघ्र ही एक आधुनिक विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया जाना चाहिए।
विधायक शिरोले ने कहा, श्री गोयल ने विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की मदद की। उनमें समाज की सेवा करने की संवेदनशीलता है। उनके व्यक्तित्व में उदारता, सरलता, विनम्रता और संस्कार का मिश्रण है। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है। ऐसे व्यक्तित्व समाज में आशावाद का संचार करते हैं।
 श्री गोयल ने अपने संबोधन में कि, पुरस्कार का नाम उस पुरस्कार के महत्व को दर्शाता है। इसीलिए गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करना जीवन का स्वर्णिम क्षण है। इस कार्य को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाना प्रेरणादायक है। चूंकि यह पुरस्कार पुणे के शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसाइटी द्वारा दिया जाता है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। पुरस्कार के अवसर पर व्यक्ति अपने जीवन की पिछली घटनाओं का पता लगा सकता है। इस मौके पर एक बार फिर यह एहसास हुआ कि अगर हालात का डटकर मुकाबला किया जाए तो आप सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह विभिन्न क्षेत्रों में काम करके संतुष्ट हैं।


डॉ. करमलकर ने कहा कि पुणे एक सांस्कृतिक शहर के रूप में जाना जाता है. मेधावियों का सम्मान इस धरती की परंपरा है। पुणे में शिक्षा क्षेत्र में तेजी लाने के लिए कई संगठनों और व्यक्तियों ने काम किया। ऐसे गुरुवर्यों के नाम पर यह पुरस्कार प्राप्त करना संतोष की बात है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शिक्षा के माध्यम से सुसंस्कृत व्यक्तित्व का विकास होना चाहिए।


डॉ. गजानन एकबोटे ने कहा, गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर ने शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी। इस पुरस्कार के अवसर पर चतुरस्त्र व्यक्तित्व का अभिनंदन किया जा रहा है।

कार्यक्रम के परिचय में संस्था के सचिव शामकान्त देशमुख ने संस्था की प्रगति के बारे में जानकारी दी तथा पुरस्कार के पीछे का विचार बताया। उन्होंने कहा कि अब तक विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों को गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।


इस अवसर पर श्री मुनगंटीवार की ऑनलाइन उपस्थिति में डॉ. गोयल को शिक्षा, संस्कृति, समाज, खेल और सहयोग के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए गुरुवर्य शंकरराव कानिटकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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