बिग ब्रेकिंग : पुणे में भाजपा को बड़ा झटका, 28 साल बाद ढहा कसबा का किला,
कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर उपचुनाव जीते, भाजपा के हेमंत रासने की करारी हार

पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क : पुणे में भारतीय जनता पार्टी को कसबा विधानसभा क्षेत्र से करारा झटका लगा है . भारतीय जनता पार्टी का अभेद्य किला माना जाने वाला कस्बा विधानसभा क्षेत्र इस बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने 11040 वोटों के अंतर से जीत लिया है जबकि चिंचवड विधानसभा क्षेत्र बचाने में भाजपा कामयाब हो गई है यहां भाजपा की उम्मीदवार अश्वनी लक्ष्मण जगताप ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी एनसीपी के नाना काटे को पराजित किया. 

 बता दें कि पुणे की कस्बा और चिंचवड विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव करवाए गए थे . इसकी मतगणना आज 2 मार्च 2023 को हुई . मतगणना पश्चात कस्बा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रविंद्र धंगेकर और चिंचवड विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की अश्वनी जगताप विजई घोषित हुई है. 
 कस्बा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी रविंद्र धनगेकर को कुल 73194 वोट मिले थे और भाजपा के हेमंत रासने को कुल 62244 वोटों से संतोष करना पड़ा. इस प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र 11040 वोटों से विजई घोषित किए गए. आपको बता दें कि यह दोनों सीटें विधायक मुक्ता तिलक और विधायक लक्ष्मण जगताप के निधन की वजह से रिक्त हुई थी यह दोनों सीटें भाजपा के पास थी. 

 जहां तक कस्बा विधानसभा क्षेत्र की बात है तो पिछले 28 साल से यहां भारतीय जनता पार्टी निर्विवाद रूप से चुनाव जीत रही है किंतु इस बार उपचुनाव में भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद भी अपना यह किला नहीं बचा पाई.  
पुणे का कस्बा किला बचाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और पुणे के पालक मंत्री चंद्रकांत दादा पाटील राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई दिग्गज नेता प्रचार के लिए आए हुए थे किंतु पुणे की जनता ने उनकी एक नहीं सुनी. दूसरी और मतदान के दिन तक भाजपा की स्थानीय नेताओं की ओर से यह सीट जीतने के लिए हर राजनीतिक और कूटनीतिक फंदा अपनाया गया किंतु फिर भी वह अपने प्रत्याशी को नहीं जीता सके.  

 बहरहाल भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में आज सन्नाटा पसरा हुआ है वही लंबे समय बाद पुणे शहर कांग्रेस कार्यालय में होली दिवाली एक साथ मनाई जा रही है कांग्रेस के नेताओं में इस जीत ने जैसे संजीवनी का काम किया है दूसरी ओर सहयोगी एनसीपी और उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना मे भी जोश आ गया है पहली प्रतिक्रिया में कहा गया है कि यह शिंदे सरकार की गद्दारी का जवाब मतदाताओं ने दिया है. 

 दूसरी ओर भाजपा के पराजित उम्मीदवार ने हार स्वीकारते हुए कहा है कि प्रचार में मैं ही कहीं ना कहीं कम पड़ गया और यह मेरी हार है मेरी पार्टी की हार नहीं है. 
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