हर जीवित प्राणी मात्र के सामने यह प्रश्न हमेशा खड़ा रहता है - आग़े क्या ?" What next? यदि यह प्रश्न आपके मन में है तो आपको ख़ुश होना चाहिये व प्रभु का धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि आज आप जीवित है व आत्मचिंतन कर रहे है - आग़े क्या?
हर व्यक्ति, छोटा- बड़ा, नर - नारी, बूढ़ा - बालक, शिक्षित - अनपढ़, शहरी - ग्रामीण, इस प्रश्न का ऊत्तर ढूँढ रहा है - आग़े क्या ? (What Next).
सुखी जीवन बिताने के लिए सर्वप्रथम आवश्यकता है - अच्छे स्वास्थ्य की । बड़े बुज़ुर्गों ने कहा है कि ‘पहला सुख निरोगी काया’ - Health is Wealth ! एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग़ निवास करता है।
अब आप ईमानदारी से अपने 24 घण्टे के दैनिक कार्यक्रम को देखिये- अपनी इस दौलत को कमाने के लिए आप कितना समय स्वयं को स्वस्थ रखने हेतु निकालते है ? अच्छें स्वास्थ्य हेतु नियमित व्यायाम, अच्छा भोजन व गहरी नींद आवश्यक है , क्या हम इनके लिए प्लान करते है? पैसा कमाने की गड़बड़ में हम हमेशा व्यायाम, खाने व नींद को ही दाव पर लगाते आए है !
आपने लोगों को हमेशा कहते हुवे सुना होगा - यार मुझे तो मरने की भी फुर्सत नहीं है ? काम का इतना लोड है की खाना खाने के लिए भी फुर्सत नहीं ? मार्च का टार्गेट पूरा करना है कई दिनो से सो नहीं पाया? जिम का पैसा भरा पर व्यायाम करने के लिए टाइम नहीं मिलता?
कल्पना कीजिए कि आप किसी हॉस्पिटल में दाखिल है और ICU के बाहर आपके परिवार के लोग आपके बाहर आने का इंतज़ार कर रहे है ? यह कल्पना कितना दुःख देने वाली है? क्या आप चाहते है की जब आप मृत- सय्या पर हो तो किसी हॉस्पिटल के ICU / CCU में चारों ओर ट्यूब के जाल में घिरे हुवे मरे?
नहीं ना ? भगवान ने पैदा करते वक्त हमें ज़िन्दगी भर के लिए सभी को एक कार रूपी पूर्ण स्वस्थ शरीर दिया और कहा “ यदि तुम इसका ख़याल रखोगे तो यह शरीर भी उम्रभर आपका ख्याल रखेगा” पर क्या हमने इस शरीर का अच्छे से ख़याल रखा ? जरा विचार कीजिए की यदि अब मरने तक यदि हमें यही कार चलानी है तो हमें इस कार की देखरेख कैसे करनी चाहिये?
हर रोज़ व्यायाम करना इस कार की सर्विसिंग कराने जैसा है। मुझे स्वस्थ रखने कि ज़िम्मेदारी मेरी खुद की है! आपके जीवन में, आज आप जिस भी मुक़ाम पर हो, उसके लिए और आपके आज के स्वास्थ्य के लिए भी आप स्वयं ही जिम्मेदार हो ।
आज यदि आपका स्वास्थ्य सही नहीं है , आप मोटें है, बीमार है, चलने में असमर्थ है, तो उसके लिए आप खुद ही ज़िम्मेदार हैं किसी को दोष देने की बजाय अपने आप से प्रश्न कीजिए "अब आग़े क्या?"
गुरु नानक जी ने कहा था - “नानक दुखिया़ं सब संसार “ परन्तु किसी सयाने व्यक्ति ने यह भी कहा है कि "जहाँ चाहं वहाँ राह"। यदि मैं आज स्वयं चाहूँ तो आज अभी से मेरा स्वास्थ्य भी अच्छा हो सकता है ।
यदि मैं अभी आज से ठान लूँ कि मरते दम तक स्वावलम्बी एवम् स्वस्थ रहूगां व हर दिन अपने शरीर का पूरा-पूरा ध्यान रखूँगा तो यह संभव है कि मरते समय आप प्राण छोडते वक्त हस्पताल में बहुत सारी ट्यूबों से घिरें हुए न हों ।
इसीलिए जाग जाईये! अपने आप से पूछिऐ -आग़े क्या? व्हाट नेक्स्ट ? 24 घन्टे में से एक घन्टा नियमित रूप से व्यायाम के लिए निकालनें का स्वयम् को वादा कीजिए क्योंकि भगवान द्वारा दिए गए शरीर द्वारा ही सब कुछ सम्भव है , यहीं सच्ची ईश्वर सेवा है! मुझे प्रभु ने जिस कार्य के लिये जीवन दिया हैं उसे पूरा करने के लिए मुझे स्वयं को स्वस्थ रखना मेरा प्रथम कर्तव्य है!
एक कहावत है “जब जागें, तब सवेरा” । चलो आज ही शुरू हो जाइए, आप अपना मनपसंद व्यायाम चूनकर, एक नए स्वस्थ जीवन का शुभारम्भ कीजिए। जिस दिन आप इस संसार को छोड़कर जाना पड़े, लोगों ने कहना चाहिए - यार साला कल तो मिला था - जिम में, साइक्लिंग करते हवें, मोर्निंग वॉक पे, स्विमिंग करते हुवे । न की लोग आपके हॉस्पिटल में आपके मरने की प्रतीक्षा करे।
जब तक जीवित है यह प्रश्न बना रहेगा - - आग़े क्या ? What Next ?
-सीए. कृष्णलाल बसंल , पूना M-9371010904
क्रमश: