सरल शब्दों में देशवासियों तक पहुंचे नई शिक्षानीति, प्रैक्टिकल शिक्षणकार्य पर दिया जाए जोर-कृणकुमार गोयल
पुणे। वैश्विक स्तर की समस्याओं को हल करना है तो हमें भी इसके लिए त्याग और विशेष प्रयास करना होगा। इसके लिए यह नई शिक्षानीति काफी मददगार साबित होगी। इस नीति को अमल में लाने के लिए शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। पारंपरिक पाठ्यक्रमों से भिन्न नए पाठ्यक्रमों का निर्माण करना होगा। यह मत पुणे युनिवर्सिटी के कुलगुरू डॉ. कारभारी कले ने यहां खड़की शिक्षण संस्थान के टीकाराम जगन्नाथ कालेज में अपने व्याख्यान के दौरान व्यक्त किया। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्याल और टीकाराम जगन्नाथ कालेज की ओर से नई शिक्षानीति पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था इसी कार्यक्रम में वे बोल रहे थे।
इस अवसर पर खड़की शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध उद्योगपति कृष्णकुमार गोयल, व्यवस्थापन परिषद के सदस्य डॉ. राजेश पांडे, संस्था के मानद सचिव आनंद छाजेड, डॉ. संज्योत आपटे, डॉ. रामेश्वर कोठावले, डॉ. नेहा पुराणिक आदि उपस्थित थे।
अपने संबोधन में व्यवस्थापन परिषद के सदस्य डाॅ. राजेश पांडे ने कहा कि, आज जो है सिर्फ उसे ही पढ़ने पढ़ाने की अपेक्षा कौशल्य आधारित शिक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए साथ ही स्थानीय आवश्यकतानुसार शिक्षण मिले यही नई शिक्षानीति का मुख्य उददेश्य है।
इसी संबंध में संस्था के अध्यक्ष श्री कृष्णकुमार गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि, भविष्य में भारत दुनिया का सबसे युवा देश बनने जा रहा है। यही वजह है कि यहां दुनियाभर के विश्वविद्यालयों के आने की संभावना बन गई है। इसका सकारात्मक असर यह होगा कि हमारे यहां के जो छात्र-छात्राएं विदेशों में शिक्षाग्रहण करने जाते हैं उन्हें वहां नहीं जाना पड़ेगा, वही शिक्षा उन्हें अपने ही देश में मिलने वाली है।
श्री गोयल ने यह भी कहा कि, सादे और सरल भाषा इस नई शिक्षा नीति की जानकारी हर भारतवासी तक पहुंचनी चाहिए और रोजगार के लिए प्रैक्टिकल अनुभव भी मिलना चाहिए यह आज समय की मांग है।
कार्यक्रम का प्रस्तावना भाषण प्राचार्य डॉ. संजय चाकणे ने किया और उन्होने कहा कि, इस नीति को प्रभावी रूप से लागू करवाने के लिए पुणे विश्वविद्यालय ने 164 चर्चासत्रों का आयोजन करने के लिए 2 करोड़ रूपए खर्च करने का नियोजन किया है। इस प्रकार पुणे विश्व विद्यालय देश में इस प्रकार के रचनात्मक कार्य के लिए इतनी बड़ी राशि खर्च करने वाली पहली युनिवर्सिटी बन गई है।
कार्यक्रम का सूत्र संचालन राजेंद्र लेले ने किया जबकि आभार डाॅ. सुचेता दलवी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर संस्था के सभी संचालक, चर्चासत्र के लिए इस कालेज और राज्य के विभिन्न कालेजों से आए प्राध्यापक भी मौजूद थे।