पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क: कहते हैं चाहे राजा हो या कि रंक, वक्त की चोट सभी को झेलनी ही पड़ती है। ऐसा ही एक वाकया यहां पुणे जिले के जुन्नर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ओतुर वनक्षेत्र की सीमा में गुलुंचवाड़ी गांव से प्रकाश में आया है। गुलुंचवाड़ी गांव में एक विशालकाय बहुत पुराना बरगद का विशालकाय पेड़ है। इस पेड़ से उलझाते हुए गांव तक टीवी के लिए केबल ले जाया गया है। इसी केबल और बरगद की एक डाल के बीच विगत दिवस एक तेंदुआ उलझ गया अर्थात बुरी तरह फंस गया।
बरगद और केबल के बीच जंगल का राजा कैसे फंसा यह तो किसी को ज्ञात नहीं है किंतु सुबह सबेरे जब ग्रामीण रोज की तरह उस बरगद के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां तंेंदुए की दहाड़ सुनी। तेंदुआ बरगद की मोटी डाल और केबल के बीच फंसा हुआ था और इस अप्रत्याशित जाल से निकलने के लिए बुरी तरह छटपटा रहा था और दहाड़ भी रहा था। बड़ा ही रोमांचक और लोमहर्षक दृष्य वहां बन गया था।
कुछ देर तक तो ग्रामीण वहां तमाशबीन बने रहे किंतु जब उन्हें अपने कर्तव्यबोध का अहसास हुआ तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग व वाइल्ड लाइफ एसओ को दी। कुछ ही देर बाद वन विभाग और वाइल्ड लाइफ की टीम गुलुंचवाड़ी गांव पहुंच गई और फिर शुरू हुआ जंगल के राजा को उस जाल से छुड़ाने का रोमांचक प्रयत्न।
जैसे ही बचाव टीम जंगल के राजा के करीब पहुंचती वह जोर से दहाड़ता और पूरी टीम के होश फाख्ता हो जाते जबकि यह तेंदुआ मोटे केबल और बरगद की एक ऐंठी किंतु मोटी डाल के बीच फंसा हुआ था। करीब 3 घंटे के इस ऑपरेशन में बचाव टीम को उस समय कामयाबी मिली जब उन्होंने इंजेक्श देकर तेंदुए को बेहोश किया और फिर उसे सावधानीपूर्वक वहां से बाहर निकालकर पिंजरे में पहुंचा दिया। इस दौरान वहां बड़ी सख्या में ग्रामीणों का जमावड़ा लग चुका था।
उक्त ऑपरेशन के संबंध में बताते हुए पशु चिकित्साधिकारी डा. चंदन सवणे ने बताया कि यह मादा तेंदुआ है और इसकी उम्र करीब 9-10 साल होगी। हमने उसे बेहोश कर पहले काबू में किया और फिर उसे हमारी टीम ने उस स्थान से निकाला। अब हम इसका उपचार करेंगे और स्वस्थ होने के पश्चात इसे जंगल में दूर ले जाकर छोड़ देंगे।