पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क : घरेलू काम करने के लिए पुणे सहित देश के विभिन्न शहरों और जिलों से मोटी कमाई की लालच में ओमान गईं और वहां विश्वासघात व शोषण की शिकार होकर नारकीय जीवन जीने को विवश हुई 42 महिलाओं को आम आदमी पार्टी की पुणे इकाई के प्रयासों के चलते भारत लाना संभव हो गया है। ओमान से भारत लौटने वाली महिलाओं में पुणे की पूजा कसबे का भी समावेश है। पूजा नितिन कसबे ने यहां पुणे में आम आदमी पार्टी के पुणे शहर कार्याध्यक्ष विजय कुंभार के साथ एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर यह जानकारी पत्रकारों को दी।
इस संबंध में आम आदमी पार्टी के पुणे शहर कार्याध्यक्ष विजय कंुभार ने पत्रकारों को बताया कि मोटी कमाई की आस में पुणे सहित देशभर से घरेलू काम करने वाली महिलाएं खाड़ी देशों में जाती हैं और वहां स्थानीय दबंगों, रसूखदार सेठों के चंगुल में फंसकर मात्र 20-21 हजार रूपए महीने की नौकरी करने को मजबूर हो जाती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वास्तव में ऐसा भारतीय एजेंटों की साजिश से ही होता है। यह कामगार महिलाओं को सैलरी के बारे में बताते कुछ हैं और ओमान के सेठों के साथ एग्रीमेंट कुछ और करते हैं, इसलिए भारतीय महिलाएं वहां जाकर फंस जाती हैं और उन्हें वहां कम सैलरी में 16 से 18 घंटे तक काम करना पड़ता है। श्री कुंभार ने कहा कि अभी भी ओमान में 38 भारतीय महिलाएं फंसी हुई हैं, उन्हें वहां से भारत लाने के लिए आम आदमी पार्टी अपने तरीके से कोशिश कर रही है। इस संवाददाता सम्मेलन में विजय कुंभार के साथ डॉ अभिजीत मोरे, अब्बास खान , निरंजन अडागळे, पूजा कसबे, श्रद्धा गायकवाड आदि मौजूद थे।
अपने ओमान में जाकर फस जाने की कहानी बताते हुए पुणे की पूजा नितिन कसबे ने पत्रकारों को बताया कि, यहां के एजेंट ने मुझसे झूठ बोला था कि ओमान में मुझे 40 हजार रूपए की सैलरी मिलेगी। वहां जाकर मुझे पता चला कि मुझे महीने में मात्र 100 रियाल अर्थात भारतीय रूपए में 20 हजार रूपए ही मिलेंगे जबकि मुझे इसके एवज में बिना किसी प्रकार की छुट्टी अथवा विश्राम के प्रतिदिन प्रातः 5 बजे से रात 11-12 बजे तक घरेलू काम करना पड़ेगा। मैं वहां जुलाई 2022 में पहुंची थी और सेठ के शोषण की वजह से अगस्त महीने में ही उसके बंगले से मैं भागने को मजबूर हो गई। मालिक ने मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया था। वहां से भागने के बाद मैंने भारतीय दूतावास के माध्यम से मस्कट शहर के एक शेल्टर होम में शरण लिया। इस शेल्टर होम में पहले से ही मेरी जैसी 80 महिलाएं मौजूद थीं, यह सभी ओमान के सेठों के शोषण का शिकार होकर भागकर यहां पहुंचीं थीं।
पूजा कसबे ने जैसे तैसे यह सारी बात अपनी बहन श्रद्धा गायकवाड़ को बताई तो श्रद्धा गायकवाड़ ने आम आदमी पार्टी के निरंजन आडागळे व डॉ अभिजीत मोरे से संपर्क किया। इन दोनों नेताओं ने पुणे शहर कार्याध्यक्ष विजय कुंभार से संपर्क किया और विजय कुंभार ने अब्बास खान की मदद लेते हुए वहां ओमान के असरदार भारतीय उद्योगपतियों से संपर्क स्थापित कर संबंधित सेठ से बातचीत करवाई और इस प्रकार पूजा को उसका पासपोर्ट वापिस मिला। इतना ही नहीं पूजा कसबे के साथ ही 42 अन्य महिलाओं को भी आम आदमी पार्टी ओमान से भारत लाने में कामयाब हो गई है। अब आम आदमी पार्टी वहां फंसी अन्य 38 भारतीय महिलाओं के लिए प्रयास कर रही है।
पूजा कसबे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए भावुक स्वर में कहा कि आम आदमी पार्टी की सक्रियता और सूझबूझ से ही मैं दोबारा पुणे लौटने में कामयाब हो पाई हूं। मैं आम आदमी पार्टी और उसके स्थानीय नेताओं की आभारी हूं।
इसी संबंध में अंत में विजय कुंभार ने कहा कि, खाड़ी देशों में हर साल बड़े पैमाने पर भारतीय महिलाए अवैध तरीके से टूरिस्ट और विजिट बीजा पर वहां जाती हैं और इसी प्रकार वहां फंस जाती हैं और बड़ी मुश्किलों का सामना करती हैं। वहां उनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण किया जाता है और हमारी सरकार कुछ नहीं कर पाती है। भारतीय दूतावास भी मूकदर्शक की ही भूमिका होता है। आम आदमी पार्टी जल्द ही इस संबंध में व्यापक आवाज उठाने वाली है।