भीमा कोरेगांव महोत्सव की तैयारियां युद्ध स्तर पर शुरू
करीब 5 साल पहले यहां हुआ था भीषण दंगा, अनेक लोगों की गई थी जान
पुष्कर महाजन
वरिष्ठ पत्रकार
पुणे भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क: कोरोना से संबंधी कोई प्रतिबंध न होने से इस बार भीमा कोरेगाव में भीम सपोर्टरर्स के लिए तैयारी शुरू हो गई है. यह फेस्टिवल १ जनवरी २०२३ को पेरणे के पास स्थित विजयस्तंभ पर होगा.

इस संबंध में भीमाकोरेगाव विजयस्तम्भ शौर्यदिन समन्वय समिति के अध्यक्ष राहुल डंबाले ने यहां एक संवाददाता संमेलन में बताया कि, भीमा कोरेगाव दंगा,व कोविड प्रतिबंधक नियमों के दो वर्ष बीत जाने के बाद इस वर्ष 5 वर्ष के बाद लाखों भिमभक्त उत्सव में भाग लेंगे. इसमे २० लाख भिमभक्तों के शामिल होने का अंदाजा है। 

 महोत्सव को सफल बनाने के लिए इसमें प्रशासन ने भी तैयारी की है. उन्होंने कहा कि हम भिमभक्तों को बेसिक सुविधा देंगे., साथही पार्किंग की सुविधा, यातायात सुविधा, सपोर्टर्स लिए मंडप सिस्टिम, आदि उपलब्ध कराया जाएगा साथ ही विजयस्तंभ की फूलों से सजावट की जाएगी. इसमे भीम सपोर्टर्स, आंबेडकरी पार्टीज व संगठनों के प्रतिनिधि व समाजकल्याण, जिलाधिकारी, पुलिस कमिशनर कचहरी, पुलिस अधिक्षक कचहरी, पब्लिक बिल्डिंग विभाग, पुणे जिला परिषद, हेल्थ डिपार्टमेंट, पीएमपीएमएल के साध २१ डिपार्टमेंट की मिटींग्ज हो रही है.


डंबाले ने आगे कहा कि, इसका खर्चा बार्टी करेगी. इसे उनसे ही अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. साथ ही वंचित बहुजन आघाडी के प्रकाश आंबेडकर, रिपाईं के रामदास आठवले, पी.आर.पी. के जोगेंद्र कवाडे, रिपब्लिकन सेना के आनंदराज आंबेडकर, बामसेफ के वामन मेश्राम, भारतीय दलित कोब्रा के विवेक चव्हाण, के साथ अर्जुन डांगले, नाना इदिसे, मनोज संसारे, आदी नेताओं के भाषणों का कार्यक्रम भी आयोजन स्थल पर होगा .


डंबाले ने आगे कहा कि, किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान ना दिया जाए। इस बार सब जाति धर्मों के लोगों की ओर से महोत्सव का स्वागत किया रहा है. साथ ही १०० करोड, रूपयों से विजय स्तंभ को राष्ट्रीय स्मारक बनाने का काम शुरू है. इस संबंध में समाज कल्याण कमिशनर ने मिटींग्ज ली है व सिटी के आंबेडकरवादी दलो की मिटिंग्ज लेकर स्मारक के बारे में प्लान तैयार हो रहा है.

जादा जानकारी के लिए राहुल डंबाले को ९८२२९१७११९ पर मोबाईल पर संपर्क किया जा सकता है। 

 बता दें कि भीमा कोरेगांव का यह विजय स्तंभ जहां अंबेडकरवादी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्थान है वहीं मराठा समाज इसे पसंद नहीं करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह विजय स्तंभ लंबे समय से संघर्ष और विवाद की गाथा अपने आप में समेटे हुए है। यह हर साल लाखों अंबेडकरवादी जनता जुटती है जिसके लिए शासन स्तर से भी प्रबंध किए जाते हैं। करीब 4- 5 साल पहले यहां बड़ा दंगा हुआ था जिसमें देश के कई नामी लोग शक के दायरे में आए थे और गिरफ्तार भी किए गए थे। 
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