अमेठी, जनपद में डेंगू को लेकर विभाग पूरी तरह से सतर्क एवं तैयार है। पूरे जनपद को दो भागों में बांटा गया है। प्रत्येक भाग में किसी भी समस्या निस्तारण के लिए मलेरिया निरीक्षक को लगाया गया है। इसके अलावा डा0 पीके उपाध्याय एवं डा अजय राय को भी जिम्मेदारी दी गई है।
जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा विमलेंदु शेखर ने बताया कि डेंगू को लेकर डरना नहीं है बल्कि सतर्क रहना है । जनपद के संयुक्त जिला चिकित्सालय में पूरी तैयारी की गई है। उन्होंने बताया कि डेंगू एक तरह का वायरस है जो एडीज मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है। डेंगू मच्छर दिन में काटता है। इन मच्छरों का प्रकोप बारिश और उसके तुरंत बाद के मौसम में बढ़ता है। ठहरे हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं और इन्हीं दिनों डेंगू का कहर भी बढ़ता है। गड्ढे, नाली, कूलर, पुराने टायर, टूटी बोतलें, डिब्बों जैसी जगहों में रुके हुए पानी में डेंगू के मच्छर पैदा होते हैं। पानी और तरल पदार्थ लेते रहना चाहिए।
डेंगू के बचाव को लेकर कर बरते सावधानी-
घर के आसपास सफाई रखें। घर में पड़े पुराने टायर, टूटी बोतल, डिब्बे, कूलर और नालियों में पानी जमा न होने दें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं। खिड़की और दरवाजे पर नेट लगाने से डेंगू के कहर से बचा जा सकता है। फूल आस्तीन के कपड़े पहनें। मच्छर वाले स्थान पर जाने से बचें।
डेंगू के लक्षण-
अकस्मात तेज सिर दर्द व बुखार का होना मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना आँखों के पीछे दर्द होना, जो कि आँखों को घुमाने से बढ़ता है। जी मिचलाना एवं उल्टी होना। गंभीर मामलों में नाक, मुँह, मसूड़ों से खून आना अथवा त्वचा पर चकत्ते उभरना
कैसे बचें-
डेंगू फैलाने वाला मच्छर खड़े हुए, साफ पानी में पनपता है। कहीं आपके घर में या आसपास पानी तो जमा नहीं है? जैसे कि कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रिज की ट्रे, फूलदान, नारियल का खोल, टूटे हर बर्तन व टायर इत्यादि ।
पानी से भरे हुए बर्तनों व टकियों आदि का ढक कर रखें।
कूलर को खाली करके सुखा दें।
यह मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे कपड़े पहनें जो बदन को पूरी तरह ढके। डेंगू के उपचार के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं है। बुखार उतारने के लिए पैरासीटामोल ले सकते हैं। एस्प्रीन या इबुप्रोफेन का इस्तेमाल अपने आप ना करें। डाक्टर की सलाह लें। डेंगू के हर रोगी को प्लेटलेट्स की आवश्यकता नहीं पड़ती ।