भारत सासणे की राय; विश्वपारखी प्रबुद्ध महाकवी 'संत कबीर वाणी' पुस्तक का प्रकाशन
पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क : "आज अपने आस-पास के माहौल को देखते हुए, आपको कबीर की जरूरत महसूस होती है। कबीर सभी धर्मों से परे हैं, मनुष्य प्रेम की भाषा जानता और बोलता है। इसलिए नफरत के इस माहौल में कबीर ही हमारे रक्षक और दिशादर्शक हैं," यह राय 95वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भारत सासणे ने दी.
आर. के. सोनग्रा प्रकाशन, महाग्रंथ प्रकाशन उत्सव द्वारा आचार्य रतनलाल सोनग्रा अनुवादित विश्वपारखी प्रबुद्ध महाकवी संत कबीर वाणी पुस्तक का दूसरा संस्करण भारत सासाणे के हाथो प्रकाशित किया गया। पत्रकार भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र विद्यार्थी सहायक मंडल के सचिव प्रसाद आबनावे और वरिष्ठ लेखक दीपक चैतन्य, सोनग्रा प्रकाशन के प्रकाशक आरती सोनग्रा उपस्थित थे।
भारत सासने ने कहा, ''वर्तमान स्थिति में नफरत फ़ैलाने का काम हो रहा है. इस कारन समाज में ये नफरत जहर की तरह काम कर रही है. इसे रोकने के लिए हमें काम करना होगा. कबीर की वाणी इस पर जालिम उपाय है. कबीर के विचारो को आत्मसात कर के हमें शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए काम करना होगा. इसी कार्य को आगे ले जाने के लिए सोनग्रा द्वारा किया कार्य बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है."
रतनलाल सोनग्रा ने कहा, "संतों ने जातिगत भेदभाव को मिटाने का विचार दिया. लेकिन हम उन्हें बाटने का काम कर है. इसे रोकना होगा. कबीर किसी एक जाति के नहीं हैं, इसलिए कोई भी उनका जन्मदिन नहीं मनाता है। कबीर का अध्ययन करते हुए मुझे लोगों में कबीर अधिक महत्वपूर्ण लगता है। कबीर पूरी मानवता के महान कवि हैं। लोगों के सर्वोत्तम हित में काम करने से आपकी जीवन प्रत्याशा स्वतः ही बढ़ जाएगी।"
दीपक चैतन्य ने भी अपना मनोगत व्यक्त किया. रतनलाल सोनग्रा को उनकी पुस्तक के दूसरे संस्करण पर बधाई देते हुए प्रसाद अबनावे ने उन्हें समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक लाने के लिए धन्यवाद दिया। हम इस पहल का हिस्सा बनकर खुश हैं। आरती सोनग्रा ने आभार व्यक्त किया।