देश की बड़ी संपत्ति का निजीकरण मोदी सरकार का दिवाला दर्शाता है - योजना आयोग के पूर्व सदस्य अर्थशास्त्री डॉ. भालचंद्र मुंणगेकर

आकाश श्रीवास्तव
नई दिल्ली/ पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क :
देश की बड़ी संपत्ति का निजीकरण मोदी सरकार का दिवाला दर्शाता है।
ऐसी स्थिति क्यों है जहां सार्वजनिक उद्यम के निजीकरण के अलावा कोई विकल्प नहीं है? पब्लिक अंडरटेकिंग इसलिए नहीं टूटती क्योंकि वो पब्लिक है, लेकिन इम्प्लीमेंटेशन ठीक से नहीं होता, इसलिए वो ढह जाता है..! मौजूदा के अंदर सरकार का मानना है कि सार्वजनिक उपक्रम चलेंगे ही नहीं इस तथ्य को देखते हुए ही देश की सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का दौर शुरू किया है। देश की बड़ी संपत्ति का निजीकरण मोदी सरकार का दिवाला दर्शाता है। सड़कें, हवाई अड्डे, बंदरगाह अनुत्पादक कैसे हो सकते हैं? योजना आयोग के पूर्व सदस्य पूर्व सांसद डॉ. भालचंद्र मुंणगेकर ने यह सवाल यहां पुणे में किया ।
राजीव गांधी स्मारक समिति की ओर से भारत में मोदी सरकार की "लोकतंत्र या निजी तंत्र" पर "5वीं संगोष्ठी" फेसबुक लाइव पर आयोजित की गई। संगोष्ठी के अध्यक्षीय भाषण में डॉ. भालचंद्र मुंणगेकर बोल रहे थे। इस चर्चा सत्र में टाटा सामाजिक अध्ययन संस्थान के प्रो. नेशनल फेडरेशन ऑफ टेलीकॉम (बीएसएनएल भारत संचार निगम) कर्मचारी संघ चंदेश्वर सिंह (पटना से) के राष्ट्रीय महासचिव संजीव चांदोरकर उपस्थित थे। संगोष्ठी का आयोजन राजीव गांधी स्मारक समिति के अध्यक्ष, कांग्रेस नेता गोपालदादा तिवारी ने किया था।

डॉ भालचंद्र मुंणगेकर ने आगे कहा कि जब कच्चा तेल 140 रुपये प्रति बैरल था, तो पेट्रोल 65 रुपये प्रति बैरल पर उपलब्ध था, आज 55 रुपये प्रति बैरल पर सरकार पेट्रोल 113 रुपये प्रति लीटर पर बेच रही है। उसके बाद भी देश का मध्यम वर्ग सो रहा है यह तस्वीर चिंताजनक है..!
 पूंजी कोई वस्तु नहीं है, सिर्फ पैसा नहीं है, यह एक विचारधारा है, एक दर्शन है। मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद एक ऐसी आग है जो हर तरफ फैल रही है, अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को निगल रही है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि निजीकरण की प्रक्रिया 1991 के बाद की अर्थव्यवस्था से शुरू हुई थी। लेकिन हाल ही में, मोदी सरकार ने फैसला किया है कि केवल कुछ पूंजीपतियों का एकाधिकार होगा। एक उद्यमी के पास 66 प्रतिशत दूरसंचार क्षेत्र है, एक के पास 15-16 महत्वपूर्ण हवाई अड्डे हैं। डॉ भालचंद्र मुंणगेकर ने इसका भी उल्लेख किया ।

प्रा. संजीव चांदोरकर ने कहा कि निजीकरण किसी एक राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध का मामला नहीं है, बल्कि 130 करोड़ लोगों और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का भी है। देश के लिए यह दुर्भाग्य की बात है कि इस मुद्दे पर उतनी सामाजिक चर्चा नहीं हो रही, जितनी होनी चाहिए
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में निजीकरण की रफ्तार तेज हुई है, निजीकरण में पारदर्शिता का अभाव है और भविष्य पर विचार नहीं होता।परिवहन, बैंकिंग, बीमा, दूरसंचार सेवाएं और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी ढांचा सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाएं सरकार के स्वामित्व वाली होनी चाहिए क्योंकि उनका देश के आर्थिक विकास और सामाजिक उत्थान पर सीधा असर पड़ता है। सार्वजनिक उद्यमों का लक्ष्य लोक कल्याण है, जबकि 'लाभ कमाना' का एकमात्र उद्देश्य निजी उद्यमियों का है। 

यह देश के लिए खतरनाक है कि मोदी सरकार न केवल सार्वजनिक उद्यमों का निजीकरण कर रही है, बल्कि उनके करीबी लोगों का एकाधिकार बना रही है।

चंदेश्वर सिंह ने कहा कि राजीव गांधी ने आज दूरसंचार और कंप्यूटर के क्षेत्र में जो छलांग लगाई है उसकी नींव रखी। प्रधानमंत्री मोदी जिस तेजी से निजीकरण कर रहे हैं, वह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि संघ ने उन्हें जो सिखाया है, वह वही कर रहे हैं, जिसके लिए उन्हें कुर्सी पर बिठाया गया है। सभी भारत संचार निगम जैसे संस्थान को सरकार खत्म करने पर आमादा है। यह कहते हुए कि केंद्र सरकार सार्वजनिक गतिविधियों को बर्बाद करने का काम कर रही है, वह करते है कि रिलायंस जियो, आइडिया - वोडाफोन, एयरटेल दूरसंचार संचालन के लिए उपयुक्त "चीन निर्मित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण" चला रहे हैं, लेकिन वही उपकरण (चीन के तथाकथित बहिष्कार के हास्यास्पद कारण का हवाला देते हुए) भारत सरकार बीएसएनएल को लेने से मना करे यह चौंकाने वाला और निंदनीय है।

उन्होंने कहा कि बीएसएनएल से 78,700 पद समाप्त कर दिए गए और रेलवे से 3 लाख से अधिक पद समाप्त कर दिए गए। अब युद्ध सामग्री कारखाने के 80,000 कर्मचारी नौकरियों के लिए लड़ रहे हैं, जनता आज विभिन्न मुद्दों पर सड़कों पर है लेकिन आईटी सेल और बड़े मीडिया, गोदी मीडिया के माध्यम से लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है।

  एनएमपी के माध्यम से पहली बार गैस पाइप लाइन, पानी की पाइप लाइन देखी, हम सुन रहे हैं यह 'देश बेचने की पाइपलाइन', साबित हो रही है। ऐसा भी चर्चा सत्र में श्री चंदेश्वर सिंह से कहा..!

अपने परिचयात्मक भाषण में गोपालदादा तिवारी ने कहा कि हमारे देश ने आजादी की भारी कीमत चुकाई है. हम स्वतंत्रता सेनानियों का महिमामंडन करते हैं, क्योंकि उन्होंने आजादी के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी, आजादी के बाद हमें संविधान मिला, हम हर 5 साल में लोकतांत्रिक तरीके से सरकार का चुनाव करते हैं। विकास का लेखा जोखा, रोडमैप तैयार करते है। 2004 से 2014 के बीच 26 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। पूरे देश में धन लोगों के लिए सुरक्षा का स्रोत है।2014 के बाद, हमारे देश पर पहले की तुलना में ढाई गुना अधिक कर्ज है। गोपाल तिवारी ने कहा कि आज मोदी सरकार विकास के लिए जो संसाधन देती है, वही संसाधन निजी उद्योगपतियों के गले में डाल रही है.  
इस अवसर पर आरिफ शेख, श्रवण भोकारे, सुरेश उकिरांडे आदि मौजूद थे.

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