तेल कंपनियों पर सरकार कराए छापेमारी तभी मिलेगा 70 रूपए लीटर पेट्रोल-डीजल
एड. अप्पा साहेब शिन्दे

पिंपरी चिंचवड चेेंबर की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग

एड. अप्पासाहेब बोले- पेट्रोल-डीजल व तेल की कीमतें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार ले अपने पास 

आकाश श्रीवास्तव
नई दिल्ली/ पुणे, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क : पिछले कुछ दिनों से पेट्रोल व डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए पिंपरी चिंचवड़ चेंबर ऑफ इंडस्ट्री कामर्स सर्विसेस ऑफ एग्रीकल्चर की ओर से एक प्रस्ताव पास कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक मांग पत्र भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि, केंद्र सरकार ने पेट्रोल डीजल व तेल कंपनियों को स्वायत्ता देकर एक बड़ी भूल की है। अब इस स्वायत्ता को वापस लेने का समय आ गया है। तेल कंपनियों से कीमतें निर्धारित करने का अधिकार वापस लिया जाना चाहिए और कीमतें बढाने अथवा कम करने का अधिकार केंद्र सरकार को अपने पास रखना चाहिए। 


 इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए पिंपरी चिंचवड चेंबर ऑफ इंडस्ट्री के अध्यक्ष एड. अप्पासाहेब शिंदे ने बताया कि जिस प्रकार पिछले हफ्ते भर से लगभग रोज ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो रहा है वह वास्तव में देश के लिए बडी चिंता का विषय है। इससे महंगाई आसमान पर पहुंच जाएगी। 


 एड. अप्पासाहेब शिंदे ने इस संबंध में आंकडे बताते हुए कहा कि यूपीए सरकार जिस समय गई उस समय पेट्रोल 60 रूपए प्रति लीटर और डीजल 50 रूपए प्रति लीटर के आस-पास था। उस समय तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत 170 डालर थी। यहां यह बात संदेहजनक है कि, तेल उत्पादन खर्च सहित 30 रूपए प्रति लीटर और दोनों सरकार का टैक्स 60 प्रतिशत मिलाने पर 30 रूपए प्लस 18 रूपए टैक्स प्लस 20 रूपए नफा को ध्यान में रखें तो 57.60 रूपए से 60 रूपए तक में यह तेल आम आदमी को मिलना चाहिए जबकि आज पेट्रोल 110 से 117 रूपए तक बिक रहा है और डीजल भी 100 रूपए के पार चला गया है। उसके उपर नफा यानी कि लाभ 50 रूपए! पेट्रोल व डीजल पर 40 रूपए प्रति लीटर लाभ कमाया जा रहा है। इस प्रकार करोडों लीटर ईंधन रोज बेचा जा रहा है। 


 यह बताते हुए एड. अप्पासाहेब शिंदे कहते हैं इतना बडा लाभ प्रतिदिन कमाया जा रहा है इसे किन कागजातों के माध्यम से छिपाया जा रहा है कैग को इसकी जांच करनी चाहिए। कस्टम ड्यूटी व राज्य के वैट कर सहित कीमत आज प्रति लीटर 60 प्रतिशत महंगी पड रही है और सरकार तेल की कीमतें हमारे नियंत्रण में नहीं है, का राग अलापे जा रही है! आखिर सरकार की भी इस संबंध में कुछ जिम्मेदारी है भी या नहीं? एड. अप्पासाहेब शिंदे यह सवाल करते हुए कहते हैं कि, इस मामले में केंद्र सरकार की असहायता संदेहजनक है। 
 एड. अप्पासाहेब शिंदे ने इस संबंध में आगे कहा है कि, तेल कंपनियां सरकार के पब्लिक आती हैं। कंपनियों में सरकार सैकडों करोड का पूंजी निवेश किसलिए देती है? प्रति लीटर 50 रूपए लाभ अर्थात 83 प्रतिशत लेते हुए यह कंपनियां सरकार को एक साल में केवल 1500 से 2000 करोड डेविडेंट देतेे हुए सरकार को गुमराह करती हैं क्या?


  एड. अप्पासाहेब शिंदे इसी संबंध में आगे कहते हैं कि, दरवृद्धि का सिलसिला न रूकते हुए और न थकते हुए पिछले 7 साल से जारी है। यह सबकुछ संदेहास्पद है। इसे देखते हुए उक्त तेल कंपनियों पर तुरंत ईडी और इन्कम टैक्स के छापे पडें तो देश को इनकी वास्तविक हकीत पता चल जाएगी। इतना बड़ा 84 प्रतिशत लाभ दिखाई देता है फिर यह लाभ कंपनियां किसका निवाला बना देती हैं यह देश की जनता को ज्ञात होना ही चाहिए। 


  एड. अप्पासाहेब शिंदे ने इस संबंध में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है और उसमें कहा है कि कर दाताओं को सरकार के इस पकड-छोड तेल नीति को लेकर अब संदेह हो गया है। ईडी व इन्कम टैक्स विभाग केंद्र सरकार तेल कंपनियों के बदले निजी करदाताओं, उद्योगपतियों, ट्रेडर्स और कारखानादारों, चीनी मिलों, राजनेताओं, उनके रिश्तेदारों और परिजनों पर ही छापेमारी करती है और इसी खबर को अखबारों और टीवी मीडिया पर दिखाते हुए कर दाताओं की मानहानि करता है।  छापेमारी के दौरान गोपनीयता नियमों को खुला उल्लंघन भी होता देखा जाता है। 


 एड. अप्पासाहेब शिंदे ने पीएम को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उपरोक्त मुद्दों को देखते हुए देश की जनता सरकार से यह जानना चाहती है कि क्या वास्तव में सरकार इसे लेकर गंभीर है भी या इस देश को एक नागरिक क्रांति की फिर आवश्यकता आन पड़ी है। 
 
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