यूपी पंचायत चुनाव में मूलभूत बदलाव का संकेत, गांव प्रधान ब्लाक प्रमुख और जिला अध्यक्षों के लिए होंगे नए नियम


  लखनऊ, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2 महीने के लिए टालने के पीछे कोरोना संक्रमण से भी एक बड़ा कारण सामने आया है. इस बार उत्तर प्रदेश सरकार पंचायतों को लेकर कुछ अहम फैसले लेने जा रही है. 


 


 उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत करते हुए बताया कि इस बार उत्तर प्रदेश शासन ने ग्राम पंचायत चुनाव में कम पढ़े लिखे तथा अनपढ़ और परिवार नियोजन का ध्यान न रखने वाले व्यक्तियों को चुनावी परिधि से बाहर रखने की तैयारी शुरू कर दी है. शासन की मंशा है कि गांव के पढ़े-लिखे समझदार लोग ग्राम प्रधान बनें जिससे ग्राम का समुचित विकास हो सके और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे. 


 


उत्तर प्रदेश शासन ने अपनी इसी मंशा के तहत केंद्र सरकार को 2 बच्चों से अधिक वाले व्यक्तियों को पंचायत चुनाव में अयोग्य घोषित करने संबंधी औपचारिकता के अनुमोदन का प्रस्ताव भेजा है . इसी प्रस्ताव में ग्राम प्रधान पद के लिए कम से कम स्नातक होने की अनिवार्यता की बाध्यता भी करने की भी बात कही गई है. 


 


 यह अनुमोदन मिलने और इस प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगने वाला था जिसे ध्यान में रखकर पंचायत चुनाव को समय से आगे बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है.हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा अभी बाकी है. 


 


  बात क्षेत्र पंचायत चुनाव की करें और जिला पंचायत चुनाव की करें तो, उत्तर प्रदेश शासन की ओर से केंद्र सरकार को क्षेत्र पंचायत प्रमुख अर्थात ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों को लेकर भी एक वृहद प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. 


 


उत्तर प्रदेश शासन की ओर से भेजा गया प्रस्ताव अत्यंत महत्वपूर्ण प्रस्ताव है क्योंकि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो उत्तर प्रदेश के जिला पंचायतों के जिला अध्यक्षों और क्षेत्र पंचायत के ब्लाक प्रमुखों को चुनने का अधिकार सीधे जनता को मिल जाएगा. यानी ब्लॉक प्रमुखों और जिला अध्यक्षों का चुनाव ठीक उसी प्रकार होगा जिस प्रकार ग्राम प्रधानों का चुनाव जनता करती है. 


 


  ऐसा होने से जो लोग अपने रसूख और धनबल बाहुबल का प्रयोग कर ब्लाक प्रमुख और जिला अध्यक्ष जैसे पदों पर आसीन होने का सपना संजोए हुए हैं, उनके सपने चकनाचूर होने तय हैं. 


 


 आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राजनीति का केंद्र सीधे गांव को बना लिया है और इसी के तहत भाजपा ने ग्राम स्तर पर अपनी पैठ मजबूत करने के लिए संगठनात्मक ढांचा सुदृढ़ करना शुरू कर दिया है. गांव गांव में भारतीय जनता पार्टी के कैडर बनाए जा रहे हैं. युवाओं को विशेष रूप से पढ़े लिखे युवाओं को जिम्मेदारियां दी जा रही है. 


 


  स्मरण रहे उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान हिमाचल प्रदेश मध्य प्रदेश और उधर महाराष्ट्र आदि राज्यों में सरपंच अथवा ग्राम प्रधान का चुनाव सीधे जनता द्वारा होता है और इस इलाके में क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के लिए भी जनता ही वोटिंग करती है इतना ही नहीं कई राज्य तो ऐसे भी हैं जिन्होंने पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी के लिए दो बच्चों की अनिवार्यता का नियम बना दिया है. 


 


 


 आपको ध्यान होगा अपने आरंभिक पंचवर्षीय कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता के विकेंद्रीकरण का नारा दिया था और वर्तमान काल में प्रधानमंत्री ने गांव को सशक्त करने का नारा दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश में पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो प्रधानमंत्री के दिशा निर्देशों के अनुरूप शासन चलाने के कायल रहे हैं और उनका संकेत मिलते ही वह अपने यहां हर नई व्यवस्था में परिवर्तन करते हैं. इसलिए आने वाले दिनों में यदि ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता द्वारा करवाए जाएं तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा. 


 


इसी के साथ प्रदेश में 2 बच्चों की पॉलिसी भी चुनाव में लागू की जा सकती है जिसके लिए बा कायदे प्रस्ताव बनाकर उत्तर प्रदेश शासन की ओर से केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. अब देखना यह है कि इस प्रस्ताव को केंद्र की मोदी सरकार कितना तवज्जो देती है. 


 


 


 


 


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