पर प्रांतीय श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार कराए विशेष रेलगाड़ी का प्रबंध : उद्धव ठाकरे


 लॉक डाउन में फंसे प्रवासियों को लेकर केंद्र सरकार से जताई चिंता


मुंबई भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट  :  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में फंसे लाखों पर प्रांतीयों को को लेकर गहरी चिंता जताई है.  उद्धव ठाकरे ने केंद्र से आए विशेष दल को राज्य सरकार की उक्त चिंता से अवगत कराया और कहा कि कि यदि 3 मई के बाद भी लॉक डाउन बढ़ाने की स्थिति बनती है तो महाराष्ट्र में रह रहे लाखों पर प्रांतीयों को उनके मूल गांव भेजने के लिए केंद्र सरकार को विशेष रेलगाड़ी चलाने पर विचार करना चाहिए. ऐसा नहीं किए जाने की स्थिति में यह प्रवासी श्रमिक सड़कों पर आ सकते हैं और एक बार फिर ना संभालने वाली विद्रोह की स्थिति बन सकती है.


 आपको बता दें कि  महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई सहित प्रदेश भर में करीब 6 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं और इन श्रमिकों के रहने और भोजन की व्यवस्था राज्य सरकार व स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से की जा रही है .हालांकि यह व्यवस्था काफी उत्तम है परंतु अब यह मजदूर महाराष्ट्र में और अधिक दिनों तक नहीं रहना चाहते हैं .यह अपने मूल गांव जाना चाहते हैं.


इसका हवाला देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र से आए   अतिरिक्त केंद्रीय सचिव मनोज जोशी और उनके दल को यह बताया कि जिस प्रकार अभी भी महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है उसे देखते हुए आशंका इस बात की है कि 3 मई के बाद एक बार फिर लॉक डाउन को बढ़ाना पड़ेगा. 


यदि लॉक डाउन को बढ़ाने की स्थिति आती है तो यहां रह रहे दूसरे राज्यों के लोगों, खासकर श्रमिक मजदूरों को यहां संभाल पाना काफी मुश्किल होगा.
 इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेलवे मंत्रालय को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि क्या महाराष्ट्र में रह रहे मजदूरों को चिकित्सकीय देखरेख में महाराष्ट्र से लेकर उनके मूल गांव तक विशेष रेलगाड़ी अथवा अन्य संसाधनों से भेजा जा सकता है? 


 गौरतलब है कि केंद्र से अतिरिक्त सचिव मनोज जोशी के नेतृत्व में पांच सदस्यीय एक दल महाराष्ट्र में कोरोना स्थित कि सर्वेक्षण करने आया हुआ है. इस दल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की और राज्य की स्थिति की जानकारी देते हुए इस दल को राज्य की इस विशेष समस्या से अवगत कराया, कि यदि लॉक डाउन को 15 मई या उससे आगे तक बढ़ाए जाने की स्थिति बनती है तो इस लॉक डाउन को बढ़ाए जाने से पहले ही महाराष्ट्र में रह रहे पर प्रांतीयों खासकर मजदूर वर्ग के लोगों को उनके मूल गांव भेजना होगा , इसका निर्णय 30 अप्रैल तक हो जाना चाहिए.


मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार महाराष्ट्र में राज्य के विभिन्न जिलों से भी लोग अलग-अलग शहरों में फंसे हुए हैं .इनमें विद्यार्थियों की भी संख्या काफी ज्यादा है.इन सभी को भी इनके मूल गांव भेजे जाने की व्यवस्था विशेष परिवहन से करनी होगी इसका निर्णय भी 30 अप्रैल तक हो जाना चाहिए. 


 उल्लेखनीय है कि दूसरी बार जब लाक डाउन बढ़ाने की बात हुई थी उस समय 14 अप्रैल को मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के नजदीक हजारों लोगों की भीड़ अचानक उमड़ पड़ी थी यह लोग अपने गांव जाना चाहते थे इस मामले में भी   उस समय शिवसेना की ओर से मंत्री आदित्य ठाकरे ने मीडिया के सामने यही बात कही थी अब यही बात खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कह रहे हैं. 


इस संबंध में जानकारों का कहना है कि दूसरे राज्यों से आकर महाराष्ट्र में रह रहे लोगों का खर्चा उठा पाना अब सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल वाला जा रहा है .इसलिए राज्य सरकार यह चाहती है कि लोग सुरक्षित अपने मूल गांव पहुंच जाएं.इससे जहां सरकार का बोझ कम होगा वहीं लोगों को अपने गांव पहुंचकर सुखद एहसास भी होगा.


जहां तक बात कोरोना संक्रमण की है तो इसके लिए महाराष्ट्र में जांच करने के बाद ही यहां से लोगों को छोड़ा जाए और जहां वह पहुंचे वहां भी उनकी जांच की जाए और वहां उन्हें 14 दिन के लिए विलग कक्ष में रखा जाए. 


अब देखना यह है कि उद्धव ठाकरे के इस सलाह और इस फार्मूले पर केंद्र सरकार क्या निर्णय लेती है. 


भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क के लिए मुंबई से विनोद प्रताप सिंह और पुणे से पुष्कर महाजन के साथ ब्यूरो रिपोर्ट.


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