पर प्रांतीय का सब्र अब आखिरी सीमा पर गांव भेजने की मांग
पुणे/ मुंबई, भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट :
पुणे और मुंबई में रह रहे लोगों को फिलहाल तो अभी लॉक डाउन से राहत मिलती हुई नहीं दिखाई दे रही है. महाराष्ट्र राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने एक समाचार एजेंसी से बोलते हुए आज कहा है कि जिस प्रकार मुंबई -पुणे में कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है उसे देखते हुए मुंबई और पुणे में लॉक डाउन को 18 मई तक बढ़ाया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि देश में महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 6,817 है। जबकि 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले पुणे की बात करें तो पुणे में यह आंकड़ा 1200 के ऊपर पहुंच चुका है और अब तक 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने अपने ताजा बयान में कहा है कि मुंबई, पुणे में लगातार कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। जिसे देखते हुए दोनों शहर में 18 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाया जा सकता है। इसलिए, मुंबईकर और पुणे के निवासियों को अगले 23 दिनों तक शायद घर पर रहना पड़ सकता है.
एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि 'कोरोना की व्यापकता नहीं बढ़नी चाहिए। लेकिन, अगर प्रकोप नहीं रुकता है, तो लॉकडाउन को बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि झोपड़ियों बस्तियों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो वर्तमान में चिंता का विषय है। हम सभी कंटेन्मेंट ज़ोन में 3 मई के बाद अगले 15 दिनों के लिए लॉकडाउन का विस्तार कर सकते हैं।
गौरतलब है कि पुणे के कोंढवा और जूना बाजार को 7 अप्रैल से बंद कर दिया गया है। पिछले एक महीने में, मुंबई-पुणे में कोरोना रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी को देखते हुए पुणे और मुंबई को हॉटस्पॉट्स में रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि हमने सरकार से 18 मई तक राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक कार्यक्रमों, समारोहों पर लॉकडाउन प्रतिबंध को बनाए रखने के लिए कहा है। तीन मई के बाद, दोनों शहरों में हॉटस्पॉट क्षेत्र को कम से कम 15 दिनों के लिए किसी भी गैर-महत्वपूर्ण सेवाओं को शुरू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
यहां इस बात का विशेष रूप से उल्लेख करना होगा कि मुंबई और पुणे में लाखों की संख्या में पर प्रांतीय रहते हैं जिनमें बड़ी संख्या उत्तर भारतीयों की है. इनमें से ज्यादातर लोग रोज कमाते हैं और रोज अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ करते हैं अब इन लोगों की रोजी-रोटी विगत 20 मार्च से ही पूरी तरह ठप हो गई है.
इनमें से अधिकांश लोग ऐसे भी हैं जिनके पास ना तो राशन कार्ड है और ना ही जीवन आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए जेब में पैसे बचे हैं. सामाजिक संस्थाओं और सरकार की ओर से दी जा रही राहत सामग्री भी इन तक नहीं पहुंच पा रही है.
उसमें मुसीबत यह है कि इस भीषण गर्मी में 10 बाई 8 के कमरे में 8 से 10 लोग रहने को मजबूर हैं. ऐसे लोगों के लिए एक-एक दिन एक-एक साल के बराबर साबित हो रहे हैं . इस स्थिति में यह लोग और 15 दिन का लॉक डाउन सह सकने की स्थिति में ना तो मानसिक रूप से हैं और ना ही आर्थिक रूप से.
सरकार ने यदि इन लोगों को इनके गांव भेजने का इंतजाम अगले 1 हफ्ते के भीतर नहीं किया तो जिस प्रकार दिल्ली से लोगों ने पैदल पलायन कर दिया था उसी प्रकार की स्थिति यहां मुंबई और पुणे में भी बन सकती है. यदि ऐसा होता है तो कोरोना संक्रमण रोकने की दिशा में उठाए जा रहे कदम के लिए यह सबसे बड़ा आघात होगा.
भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क के लिए पुणे से पुष्कर महाजन और मुंबई से विनोद प्रताप सिंह की रिपोर्ट.