नई दिल्ली, भागीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट : कोरोना लॉक डाउन के चलते देशभर के विभिन्न राज्यों में फंसे छात्रों, मजदूरों, पर्यटकों, श्रद्धालुओं को उनके घर पहुंचाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है.
इस संबंध में जो ब्रेकिंग जानकारी मिली है उसके अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत वह दूसरे राज्यों में फंसे अपने राज्य के छात्रों, मजदूरों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों नौकरीपेशा लोगों आदि को वापस ला सकते हैं.
भगीरथ प्रयास न्यूज़ नेटवर्क ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को यह सशर्त अनुमति दी गई है. शर्त यह है कि राज्य सरकार उन्हीं लोगों को अन्य प्रदेशों से वापस ला सकती है जो पूरी तरह स्वस्थ हो. दूसरी शर्त यह है कि ऐसे सभी लोगों को राज्य सरकारों को बसों में लाना होगा और तीसरी शर्त यह है कि इन बसों को पूरी तरह सैनिटाइज किया हुआ होना चाहिए और बसों में ऐसे लोगों को बिठाते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य किया जाना चाहिए.
केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को जारी आदेश में चौथी शर्त यह है की यह लोग जहां से बिठाए जाएं वहां उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होनी चाहिए और जहां इन्हें उतारा जाए वहां भी इनकी थर्मल स्कैनिंग अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की पांचवी शर्त यह है कि जो लोग अन्य प्रदेशों से लाए जाएं उन्हें कम से कम 14 दिनों के लिए अलग स्थान पर रखा जाए ऐसे लोगों को घर जाने की इजाजत 14 दिनों के बाद ही दी जाए.
उल्लेखनीय है कि आने वाली 3 मई को लॉक डाउन पार्ट 2 की समय सीमा खत्म होने वाली है. जबकि देश में अनेक प्रदेश ऐसे हैं जहां लॉक डाउन का बढ़ना लगभग अनिवार्य माना जा रहा है.
कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी के जानकारों का कहना है कि इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने में करीब 6 महीने लग जाएंगे. इतने लंबे समय तक अन्य प्रदेशों में फसे और अपने घर जाने के लिए उत्सुक लोगों को जहां वह फंसे हैं उसी स्थान पर रखना न केवल अनुचित होगा अन्यथा कोरोना संक्रमण की दृष्टिकोण से आत्मघाती कदम भी होगा.
इसी तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को यह अधिकार दे दिया है कि यदि वह चाहे तो अन्य राज्यों में फंसे अपने लोगों को अपनी सुविधा से केंद्र सरकार की शर्तों का पालन करते हुए अपने राज्य में ला सकते हैं.
यहां यह बात ध्यान में रखनी होगी कि अन्य राज्यों में फंसे लोगों को लाने के लिए राज्य सरकारें रेलवे का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे इसके लिए उन्हें अनिवार्य रूप से बसों को चलाना होगा और इन बसों को पूरी तरह सैनिटाइज करके सुरक्षित करना होगा.
बात महाराष्ट्र और मुंबई व पुणे जैसे बड़े महानगरों की करें तो मुंबई और पुणे जैसे महानगरों में उत्तर प्रदेश और बिहार के करीब 600000 से अधिक लोग लॉक डाउन के चलते फंसे हुए हैं . उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारें अब इन लोगों को अपने राज्यों में ले जाने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगी ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इसके पहले ही कह चुके हैं कि पर प्रांतीय लोगों को उनके घर जाने दिया जाना चाहिए राज्य सरकार इसके पूरे पक्ष में है.
अब देखना यह है कि देश के विभिन्न राज्यों में फंसे लाखों लोगों को राज्य सरकारें अपने राज्य में लाने के लिए उत्सुक है भी या नहीं और यदि उत्सुक हैं तो इसके लिए वह किस प्रकार का प्रबंध करती हैं.
भगीरथ प्रयास न्यूज नेटवर्क नई दिल्ली ब्यूरो के साथ पुणे ब्यूरो की रिपोर्ट.