कोरोना के देशांतर्गत फैलाव को रोकने की नीति का आभाव! स्थानीय प्रशासन दिशा निर्देश की प्रतीक्षा में -विभागीय आयुक्त

लवकुश तिवारी
वरिष्ठ पत्रकार
पुणे, : कोरोना जैसी जानलेवा संक्रामक महामारी के देशांतर्गत फैलाव को रोकने के लिए सरकारी नीति का आभाव स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है।
इसे सौभाग्य ही कहा जा सकता है कि अभी तक भारत में कोरोना का देशांतर्गत फैलाव लगभग न के बराबर है। महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में अब तक कोरोना संक्रमण के जो भी मामले सामने आए हैं उनमें ज्यादातर ऐसे मामले हैं जो विदेशों से भारत लौटे लोगों और उनके संपर्क में आए लोगों के हैं, लेकिन इसकी कोई गारंटी  नहीं है कि इन लोगांे से हुए संक्रमण का फैलाव व्यक्तियों के एक दूसरे राज्य व शहर आने जाने से नहीं होगा। इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्ट नीति राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार और राज्य सरकारों की ओर से नहीं बनी है जिससे जिन राज्यों और शहरों में कोरोना संक्रमण का असर नहीं है अथवा कम असर है, उन राज्यों में कोरोना संक्रमण का फैलाव दूसरे राज्यों/शहरों से आने वाले कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के द्वारा हो सकता है।



 उल्लेखनीय है कि इस संबंध में पुणे के विभागीय आयुक्त दीपक म्हैसेकर से जब यह सवाल किया गया कि विदेशों से आने वाले यात्रियों का प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण एयरपोर्टों पर कर लिया जाता है और संदिग्ध पाए जाने या फिर प्रतिबंधित सात देशों से आने वाले यात्रियों को आईसोलेशन अथवा कोरंेटाइन व्यवस्था में रखा जाता है , जबकि कोरोना प्रभावित देशांतर्गत राज्यों अथवा शहरों से सडक मार्ग या रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों को बेरोक-टोक आने जाने दिया जाता है। क्या ऐसे यात्रियों में कोरोना संक्रमित व्यक्ति नहीं हो सकते हैं? और उनके द्वारा जहां वे जाते हैं वहां संक्रमण फैलने की आशंका नहीं होती है? यदि होती है तो प्रशासन इसके लिए क्या उपाय कर रहा है? तो उनका जवाब था कि सरकार ने इस संबंध में अभी तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। दिशा निर्देश मिले तो हम रेलवे स्टेशनों, बस अडडों आदि पर भी प्राथमिक चेकअप करवाकर संदिग्धों को चिन्हित करने की कार्रवाई शुरू करेंगे।



 बतादें कि विभागीय आयुक्त अथवा जिला प्रशासन अपनी जगह पर बिल्कुल सही है। कमी है तो इस संबंध में सरकारी नीति की। इस संबंध में महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों के स्वास्थ्य मंत्रालयों और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को जल्द से जल्द एक प्रभावी नीति तैयार करनी होगी। तभी कोरोना के देशातंर्गत फैलाव को रोका जा सकेगा। सिर्फ फारेन से आने वाले संक्रमित लोगों और उनसे मिलने वाले लोगों की खोज कर उन्हें आइसोलेशन और कोरंटाइन करने मात्र से ही इस समस्या का निदान कर पाना शायद ही संभव हो सके।



 प्रशासन की ओर से रेलवे स्टेशनों और बस अडडों पर होने वाली भीड को कम करने, वहां मौजूद लोगों के बीच 1 मीटर की अनिवार्य दूरी बनाने, स्वच्छता और कोरोना संक्रमण के प्रति सतर्कता बरतने के साथ ही बसों और रेल कोचों को समय-समय पर निर्जन्तुकीकरण करने के साथ ही स्टेशन व बस अड्डा परिसर का भी निर्जन्तुकीकरण करते रहने की अनिवार्य आवश्यकता पैदा हो गई है। इसके अलावा बस व ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों के अनिवार्य स्वास्थ्य परीक्षण का भी प्रबंध किया जाना चाहिए। 


Comments
Popular posts
इंजीनियरिंग का 'टॉपर' निकला चोर; पुणे से की ज्वेलरी चोरी, कर्नाटक भागा, फंसा पुलिस के जाल में
Image
धनपतगंज ब्लॉक कांग्रेस की मासिक बैठक सम्पन्न, संगठन मजबूत करने और कार्यकर्ताओं के सम्मान पर जोर
Image
विविध मांगों को लेकर रिक्शा और कैब चालकों की हड़ताल से यात्रियों को भारी परेशानी, प्रशासनिक तंत्र की अनदेखी
Image
‘शहीद प्रधानमंत्री’ इंदिरा गांधी की हत्या और उनके कार्यकाल की तुलना मोदी के कार्यकाल से करना बौद्धिक दिवालियापन और विकृति का प्रदर्शन : कांग्रेस प्रवक्ता गोपालदादा तिवारी
Image
‌"अनैतिक सत्ता का खेल! जनमत का अपमान कर महायुती सत्ता बचाने की जद्दोजहद में – कांग्रेस का करारा हमला"
Image