अक्षय तृतीया : शाश्वत आनंद, पुण्य और नवजीवन का पावन पर्व"
।अक्षय तृतीया।।
सभी वैष्णवो को जय श्रीकृष्ण। 
सुख प्राप्त करने की चाह में आदमी मकान बदलता है, दुकान बदलता है। कभी-कभी देश बदलता है तो कभी-कभी भेष भी बदलता है। लेकिन अपनी सोच अपना स्वभाव बदलने को राजी नहीं। भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलो। जिस दिन आपने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन आपका अभाव मिट जाएगा और हम अक्षय बन जाएंगे। जहां किसी का अक्षय नहीं होता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। संस्कृत में अक्षय का अर्थ है शाश्वत खुशी सफलता और आनंद की कभी ना खत्म होने वाली भावना और तृतीय का अर्थ है तीसरा।

 भारतीय संस्कृति के अनुसार तीन अंको का विशिष्ट महत्व है। सृष्टि की निर्मिती ब्रह्मा विष्णु महेश इन त्रिदेवो से हुई है। सरस्वती लक्ष्मी और पार्वती यह तीन देवियां विद्या धन और शक्ति का स्वरूप माना जाता है। पूजा के बाद तीन प्रदक्षिणा करते हैं। सूर्य मालिके में सूर्य चंद्र और गुरु यह तीन ग्रह महत्व के माने जाते हैं। 

अंक 3 स्वयं में पूर्ण अंक है और मंगल ग्रह का प्रतीक होता है। ऊर्जा का संचार माना जाता है। कहां जाता है कि यह व्यक्ति जन्मजात ही आत्मविश्वासी और महत्वाकांक्षी होता है। दूसरों को प्रेरणा देता है। मानव स्वभाव के तीन प्रकार है और आहार के भी तीन प्रकार सत्व रज तम होते हैं।

 भगवान शंकर के त्रिनेत्र हैं। भारतीय झंडे के तीन रंग है।
 सनातन धर्म में अक्षय तृतीया मांगलिक कार्य के लिए शुभ और अक्षय मुहूर्त मानने में आता है। इसे ईश्वरीय तिथि भी कहते हैं। 

अक्षय का अर्थ जिसका कभी नाश न हो इसलिए स्थिति को दान पुण्य का महत्व है।
 अक्षय तृतीया दिन श्री व्यासजी ने श्री गणेश से महाभारत लिखने की शुरुआत की थी।
 अक्षय तृतीया दिन किए हुए कर्म अक्षय रहते हैं इसलिए इस दिन यज्ञ दान तप जप पितृ तर्पण करना चाहिए। अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री कृष्ण ने मित्र सुदामा को एक मुट्ठी चावल के बदले अतूट वैभव दिया था।

 अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी ने कुबेर जी को स्वर्ग की संपत्ति दी थी। अक्षय तृतीया के दिन सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था। 

अक्षय तृतीया के दिन सूर्य भगवान ने पांडवों को वनवास के दौरान अक्षय पत्र दिया था जिसमें भोजन भरा हुआ था।
 अक्षय तृतीया का महत्व भविष्य पुराण नारद पुराण विष्णु पुराण में दिया है। 

अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।

 अक्षय तृतीया के दिन महाभारत के युद्ध की समाप्ति हुई थी।

 श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की चीर हरण से रक्षा की थी।

 अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य हुआ था। 

अक्षय तृतीया के दिन बद्री केदारनाथ मंदिर के द्वार खोलते हैं।

 इस शुभ अवसर पर हम सभी संकल्प करते हैं अच्छा बोलेंगे अच्छा सुनेंगे अच्छा देखेंगे जीवन मधुर बनाएंगे।
 अक्षय तृतीया की अनेक शुभकामनाएं।
 जय श्रीकृष्ण।
 
नरेंद्र गिरधरलाल वाणी
 मो 738 7081951
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